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छोटी उम्र में स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से समय से पहले आ सकती हैं प्यूबर्टी

नई दिल्ली: चूहों पर किए एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि जो बच्चे छोटी उम्र में स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताते हैं, उनमें समय से पहले वयस्क होने की संभावना बनी रहती है क्योंकि स्मार्टफोन या टैबलेट से निकलने वाली नीली रोशनी सेहत के लिए हानिकारक हो होती है। यह शोध.

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नई दिल्ली: चूहों पर किए एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि जो बच्चे छोटी उम्र में स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताते हैं, उनमें समय से पहले वयस्क होने की संभावना बनी रहती है क्योंकि स्मार्टफोन या टैबलेट से निकलने वाली नीली रोशनी सेहत के लिए हानिकारक हो होती है। यह शोध बताता है कि स्मार्टफोन या टैबलेट से निकलने वाली नीली रोशनी का संबंध तेजी से हड्डी विकास और हड्डी की उम्र में वृद्धि से जुड़ा हुआ है। लिवरपूल में 62वीं वार्षकि यूरोपीय सोसायटी फॉर पीडियाट्रिक एंडोक्राइनोलॉजी मीटिंग में प्रस्तुत यह शोध हड्डियों की वृद्धि और यौवन विकास के बीच संबंध का पता लगाने वाला पहला शोध है। तुर्की के गाजी विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. आयलिन किलिंक उगुरलू ने कहा कि यह पहला अध्ययन है जो दर्शाता है कि नीली रोशनी शारीरिक वृद्धि और विकास को कैसे प्रभावित कर सकती है, जिससे बच्चों के विकास पर आधुनिक स्क्रीन के प्रभाव पर आगे और शोध करने की आवश्यकता है।

उगुरलू ने कहा कि चूंकि यह अध्ययन चूहों पर किया गया था, इसलिए हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि ये निष्कर्ष बच्चों पर भी लागू होंगे, लेकिन हमारे आंकड़े बताते हैं कि नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से शारीरिक विकास और ग्रोथ प्लेट की परिपक्वता दोनों में तेजी आती है, जिससे समय से पहले यौवन आ जाता है। जब बच्चे बड़े होते हैं तो उनमें फीमर जैसी लंबी हड्डियां विकसित होती हैं। जहां लड़कियां 14 से 16 वर्ष की आयु के बीच अपनी अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचती हैं, वहीं लड़के 16 से 18 वर्ष की आयु के बीच अपनी वृद्धि पूरी कर लेते हैं। हालांकि हाल के अध्ययनों ने लड़कियों और लड़कों दोनों में समय से पहले यौवन में वृद्धि की ओर संकेत किया है। अध्ययनों से पता चलता है कि बच्चे पहले तो तेजी से बढ़ सकते हैं, लेकिन अक्सर सामान्य से पहले बढ़ना बंद कर देते हैं। उगुरलू ने कहा कि एक कारण नीली रोशनी उत्सजिर्त करने वाले उपकरणों का बढ़ता उपयोग हो सकता है।

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