बगैर जानकारी के विटामिन और सप्लीमेंट लेना आपके लिए हो सकता हैं खतरनाक

जोहानिसबर्गः बगैर जानकारी और उचित कारण के विटामिन और सप्लीमेंट (पूरक) का इस्तेमाल इंसान के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके बावजूद दुनियाभर में लोगों की ओर से बड़े पैमाने पर विटामिन की खरीदारी जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2020 में अनुपूरक (कंप्लीमेंटरी) और वैकल्पिक दवा.

जोहानिसबर्गः बगैर जानकारी और उचित कारण के विटामिन और सप्लीमेंट (पूरक) का इस्तेमाल इंसान के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसके बावजूद दुनियाभर में लोगों की ओर से बड़े पैमाने पर विटामिन की खरीदारी जारी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2020 में अनुपूरक (कंप्लीमेंटरी) और वैकल्पिक दवा के वैश्विक बाजार (जिसमें कई विटामिन वाले सप्लीमेंट शामिल हैं) का अनुमानित मूल्य करीब 82.27 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। प्राकृतिक स्वास्थ्य से जुड़े उत्पाद (जैसे कि मिनरल और एमिनो अम्ल) का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। इसका एक आंशिक कारण कोविड-19 महामारी के दौरान उपभोक्ताओं को लगी खरीदारी की आदत के कारण है।

वायरस के संभावित रोकथाम उपाय के तहत लोग विटामिन सी, डी और जिंक सप्लीमेंट खरीदते हैं, हालांकि इनके असरदार होने संबंधी साक्षय़ अब भी अनिर्णायक हैं। ग्राहक को ‘मल्टीविटामिन’ और ‘मिनरल सप्लीमेंट’ आसानी से मिल जाते हैं। इन्हें अक्सर स्वास्थ्य संबंधी लाभ और दावों के आधार पर बाजार में बेचा जाता है, कभी-कभी इसका कोई आधार नहीं होता। लेकिन इनके पैकेट पर इस्तेमाल से होने वाले संभावित विपरीत प्रभाव का जिक्र नहीं किया जाता। विटामिन और मिनरल को समग्र रूप से सूक्ष्म पोषक तत्व (माइक्रोन्यूट्रीएंट) कहा जाता है और शरीर के सुचारू संचालन के लिए इन अहम तत्वों की जरूर होती है। हमारा शरीर केवल थोड़ी मात्र में माइक्रोन्यूट्रीएंट का उत्पादन कर सकता है, या फिर इसका उत्पादन एकदम नहीं कर सकता। इसलिए हम अपने भोजन से बड़ी मात्र में इन पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं।

यह एक सामान्य धारणा है कि ये सप्लीमेंट नुकसानदेह नहीं होते। लेकिन वास्तव में इनका अनुचित मात्र में सेवन करना खतरनाक साबित हो सकता है। विटामिन तभी लाभकारी हो सकतें है जब डॉक्टर की सलाह पर उचित कारण से इसका इस्तेमाल किया गया हो। उदाहरण के लिए पाया गया कि फोलिक अम्ल सप्लीमेंट गर्भवती महिलओं में ‘न्यूरल ट्यूब’ को खराब होने से बचाता है। इसी तरह जो लोग लाल मांस का सेवन कम करते हैं और फलीदार दालों का खपत नहीं बढ़ाते, उन्हें विटामिन बी-6 सप्लीमेंट (पूरक) की जरूरत होती है, लेकिन चिंता की बात यह है कि आजकल उपभोक्ताओं के बीच इंट्रावेनस विटामिन का चलन बढ़ रहा है, जिसे अक्सर मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया पर प्रचार के जरिये बढ़ावा दिया जाता है।

इंट्रावेनस (इंजेक्शन के द्वारा नसों के जरिये लिया जाने वाला) विटामिन, पोषक तत्व और तरल पदार्थ फार्मेसियों के साथ-साथ ब्यूटी स्पा और ‘आईवी बार’ में दिए जाते हैं। उपयोगकर्ताओं का मानना है कि यह उपचार उम्र बढऩे के प्रभाव को धीमा कर सकता है, त्वचा को चमका सकता है या उन्हें अच्छा महसूस करा सकता है। हालांकि, इसके पहले इंट्रावेनस चिकित्सा का इस्तेमाल उन मरीजों के लिए करते थे जिन्हें निगलने में समस्या होती थी। इसके अलावा इंट्रावेनस विटामिन चिकित्सा के फायदों का समर्थन करने वाले प्रमाण सीमित हैं। यह मायने नहीं रखता कि आप विभिन्न तरीके के अतिरिक्त विटामिन लेने के लिए कौन सा तरीका अपनाते हैं, लेकिन इसमें जोखिम है।

प्रतिदिन 100 से 200 मिलीग्राम आयरन के सेवन से कब्ज, चेहरे का काला पड़ना और दांत के काला पड़ने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे स्वास्थ्य उत्पादों का सेवन करने से पहले साक्ष्य के आधार पर निर्णय लें। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार से हमारी सेहत को ज्यादा फायदा होने की संभावना है और यह हमारी जेब पर भी ज्यादा बोझ नहीं डालता। पूरकों (सप्लीमेंट्स) का सेवन करने से पहले चिकित्सक से परामर्श लेना विपरीत प्रभाव पड़ने के जोखिम को घटा देता है।

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