गर्दन का दर्द आज कल के समय में एक आम समस्या बन चूका है लेकिन इसका सही समय पर इलाज जरुरी है। गर्दन का दर्द अगर ज्यादा बढ़ जाये तो ये खतरनाक मोड़ भी ले सकता है। कई लोग इसके दर्द से परेशान होकर पेनकिलर का सहारा लेने लग जाते हैं, लेकिन वास्तव में यह तरीका आपकी बॉडी के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। ऐसे में आज हम आपको कुछ खास नखों के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आपको दर्द से आसानी से ही राहत मिलेगी।
मार्जरी आसन: आसन के दौरान सांस छोड़ें और अपनी रीढ़ की हड्डी को कूबड़ की तरह गोल करते हुए अपने सिर को नीचे ले जाएं। धीरे से अपने ठोड़ी को अपनी गर्दन से लगा दें। इसको करने से आपकी रीढ़ की हड्डी और पेट की हल्की मालिश होगी। साथ ही गर्दन के दर्द से भी छुटकारा मिल जाएगा।
विपरीत करणी आसन: इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब, अपने पैरों को सीधा ऊपर उठाएं। पैर छत के समानांतर हैं और आपके पैर दीवार को छू रहे हैं। हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए शरीर के बगल में अपनी बाहों के साथ आराम करें। लंबी गहरी सांसें लें। घुटनों को पहले लाते हुए धीरे-धीरे नीचे आएं। फिर अपनी बाईं ओर मुड़ें और धीरे से बैठ जाएं।
शवासन: पेट के बल लेटकर छाती को ऊपर उठाने की स्थिति में गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, जिससे इन मांसपेशियों का सक्रियता बढ़ती है और तनाव कम होता है। शवासन योग का अभ्यास गर्दन के दर्द और अकड़न से राहत दिलाने में काफी फायदेमंद है। इस आसन में शरीर को जमीन पर स्थिर अवस्था में रखना है। जमीन पर सीधे लेट जाएं। हाथों को शरीर के दोनों ओर रखें और पैरों को थोड़ा खोल दें। यह आसन सभी आसनों के अंत में किया जाता है और सबसे सरल आसन है। मांसपेशियों और खुद को गहरा विश्राम देने के लिए शरीर को इस स्थिति में 5 मिनट तक विश्राम दें।
उत्थित त्रिकोणासन: इस दौरान, जितना हो सके अपने पैरों को फैलाएं। अपनी पीठ को सीधा रखते हुए, अपने हाथों को बगल की ओर फैलाएं। श्वास लें और धीरे-धीरे दाहिनी ओर झुकें, अपने दाहिने हाथ से अपने टखने को स्पर्श करें। इस मुद्रा में रहते हुए अपने बाएं हाथ को देखें। अब धीरे से अपनी बॉडी को सामान्य अवस्था में ले आएं। इसके बाद, आप दूसरी साइड से भी इसी आसन का अभ्यास करें।
नटराजासन: सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। दाएं पैर का घुटना मोड़ें और दाएं हाथ से दाएं पैर का टखना पीछे की ओर पकड़ें। अब सांस भरें और दाएं पैर को पीछे की तरफ से ऊपर उठाएं। पैर के तलवे को पीछे की ओर खींचे। दायां बाजू सीधा रखें। बाएं पैर का घुटना न मोड़ें। इस अवस्था में कुछ सेकंड ठहरें और फिर प्रारंभिक अवस्था में वापस आ जाएं।