Bhai Dooj 2023: 14 या 15 जानिए कब मनाया जाएगा भाई दूज…यमराज और यमुना से जुड़ा है यह खास त्योहार

नेशनल डेस्क: यम द्वितीया के पावन पर्व पर कान्हा नगरी मथुरा में मोक्ष प्राप्ति की आशा में देश के कोने कोने से भाई बहन विश्राम घाट पर साथ साथ पतित पावनी यमुना में स्नान करते हैं। मान्यता है कि यम द्वितीया पर्व पर यमुना के विश्राम घाट पर भाई-बहन के साथ-साथ स्नान करने से यम.

नेशनल डेस्क: यम द्वितीया के पावन पर्व पर कान्हा नगरी मथुरा में मोक्ष प्राप्ति की आशा में देश के कोने कोने से भाई बहन विश्राम घाट पर साथ साथ पतित पावनी यमुना में स्नान करते हैं। मान्यता है कि यम द्वितीया पर्व पर यमुना के विश्राम घाट पर भाई-बहन के साथ-साथ स्नान करने से यम के फांस से मुक्ति मिलती है। इस बार यम द्वितीया यानि कि भैया दूज का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।

 

भाई दूज की कथा

एक पौराणिक दृष्टांत देते हुए गोवर्धन पीठाधीश्वर शंकराचार्य अधोक्षजानन्द देव तीर्थ ने बताया कि सूर्य देव की पत्नी का नाम संज्ञा था। संज्ञा से तीन संतानें वैवाश्वत, यम एवं यमी यानी यमुना हुईं। एक बार तरल यमुना ने यम द्वितीया पर्व पर अपने भाई यमराज को बुलाया और उनकी बहुत अच्छी आवभगत की। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वर मांगने को कहा तो सर्व कल्याणकारी यमुना ने उनसे कहा कि जो भी भाई बहन साथ साथ यमुना में स्नान करें ताकि उन्हें यमलोक न जाना पड़े और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो। यह सुनकर यमराज किंकर्तव्य-विमूढ़ हो गए।

 

यम ने कुछ सोचने के बाद यमुना से कहा कि बहन तुमने ऐसा वरदान मांगा है जिसे पूरा करना संभव नहीं है क्योंकि इससे जन्म-मरण के पाप-पुण्य में कोई अन्तर ही नहीं रहेगा। यही नहीं तुम्हारा विस्तार इतना अधिक है कि इसे पूरा करना संभव नहीं है। उन्होंने इसमें संशोधन कर कहा कि जो भाई-बहन यम द्वितीया के पावन पर्व मथुरा के विश्राम घाट पर साथ साथ स्नान करेंगे उन्हें यमलोक में जाना नहीं पड़ेगा तथा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।

 

शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने यमुना का विश्राम घाट ही इसलिए चुना कि भगवान श्रीकृण और उनके भ्राता बलराम ने कंस वध करने के बाद इसी पावन स्थल पर विश्राम किया था। यम द्वितीया पर विश्राम घाट पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र ,गुजरात आदि प्रांतों से तीर्थयात्री आते हैं। सबसे अधिक संख्या गुजरातियों की होती है जो स्नान के बाद एक लोटी में यमुना जल बंद कराकर अपने घर ले जाते हैं और वहां पर लोटी खोलने के समय धार्मिक आयोजन करते हैं। यम द्वितीया का स्नान रात 2 बजे से शुरू होकर अगले दिन रात आठ बजे तक चलता रहता है।

 

इस दिन एक प्रकार से घाटों पर मेला सा लग जाता है। कुल मिलाकर यम द्वितीया पर विश्राम घाट पर वातावरण इतना भावपूर्ण हो जाता है कि भक्ति नृत्य करने लगती है तथा साथ साथ स्नान करने वाले भाई-बहन के लिए यह यादगार बन जाता है।

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