ऋषिकेश- बद्रीनाथ व रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने के लिए 910 मीटर लंबी सुरंग को किया आरपार

देहरादून: रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) नगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए टनल का निर्माण किया जा रहा है, जिससे लोगों को जाम के झाम से निजात मिल सके। कार्यदायी संस्था ने मंगलवार को टनल को सफलतापूर्वक आर-पार कर लिया। इसको लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग लोनिवि और कार्यदायी संस्था के अधिकारी और मजदूरों ने खुशी जताई है।.

देहरादून: रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) नगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए टनल का निर्माण किया जा रहा है, जिससे लोगों को जाम के झाम से निजात मिल सके। कार्यदायी संस्था ने मंगलवार को टनल को सफलतापूर्वक आर-पार कर लिया। इसको लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग लोनिवि और कार्यदायी संस्था के अधिकारी और मजदूरों ने खुशी जताई है।

रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में ऋषिकेश-बदरीनाथ व रुद्रप्रयाग- गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने के लिए 910 मीटर लंबी सुरंग को आरपार किया गया। कार्यदायी संस्था ने तय समय से लगभग दो माह पहले ही सुरंग को आरपार किया है। सुरंग के निर्माण में 150 मजदूर दो शिफ्टों में काम कर रहे थे। अब, सुरंग में दूसरे चरण के काम किए जाएंगे। सुरंग निर्माण में कंपनी ने विस्फोटों का बहुत कम उपयोग किया है।

भारत सरकार की ऑलवेदर रोड परियोजना के अंतर्गत दूसरे चरण में रुद्रप्रयाग में बद्रीनाथ और गौरीकुंड राजमार्ग को आपस में जोड़ने के लिए सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। दिसंबर 2022 भूमि पूजन के साथ सुरंग निर्माण की कार्रवाई शुरू की गई, जबकि इस वर्ष मार्च में कार्यदायी संस्था भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बेलणी और जगतोली से सुरंग के लिए खोदाई शुरू की।कार्यदायी कंपनी को दिसंबर तक इस सुरंग को आरपार करने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन कंपनी ने सात माह में ही 150 मजदूरों के साथ ही मशीनों की मदद से सुरंग को आरपार कर दिया। कंपनी के आला अधिकारियों की मौजूदगी में शाम 6 बजे सुरंग को बेलणी से जगतोली तक 910 मीटर आरपार किया गया।

इस दौरान पंडित नरेश सेमवाल ने पूजा अर्चना की। वहीं मजदूरों ने फूल-मालाओं व आतिशबाजी के साथ खुशी मनाई।अधिकारियों के अनुसार, सुरंग के अंदर दूसरे चरण के कार्य जल्द शुरू किए जाएंगे। इस परियोजना के तहत सुरंग के साथ ही अलकनंदा नदी पर 200 मीटर लंबा मोटर पुल भी प्रस्तावित है, जिसके एबेडमेंट के लिए खोदाई जोरों पर चल रहा है। एनएच के अधिकारियों के अनुसार, परियोजना का कार्य जून 2025 तक पूरा कर दिया जाएगा।

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