अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रताप सिंह दहिया ने कहा कि जाट आंदोलन के दौरान सरकार के सामने 6 मांगे रखी थी। इनमें से तीन मांगों को सरकार ने मान लिया है जबकि 3 मांगे अभी भी बची हुई हैं। अब 29 जनवरी को अमित शाह की रैली गोहाना में है ऐसे में सरकार उनकी बची हुई तीन मांगों को भी मान ले।
अगर इन मांगों को नहीं माना जाता है तो 29 फरवरी के बाद भिवानी लोहारू, 12 फरवरी को हिसार, 19 फरवरी को झज्जर के बाद करनाल, जींद, तथा कैथल में जाट समाज के लोगों के सामने जाकर अपनी विचारधारा रखेंगे। और आगामी आंदोलन की रणनीति बनाएंगे। 20 फरवरी 2016 के आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों के परिवार को मुआवजा में सरकारी नौकरी आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे में गिरफ्तारी तुरंत रोक, आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों की वापसी हरियाणा के जाट समाज के प्रदेश स्तर पर ओबीसी कैटेगरी में आरक्षण, देशभर के जाट समाज को केंद्रीय स्तर पर आरक्षण दिया जाए।
इसके बाद 11 फरवरी 2018 को जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे सरकार वापस ले जिन पर हाईकोर्ट ने अभी तक स्टे लगा हुआ है। हरियाणा के जाटों को आरक्षण की ओबीसी श्रेणी में अभी भी शामिल नहीं किया गया है। उन्हें जल्द ही शामिल किया जाए केंद्र स्तर पर भी जाट समाज को अभी तक आरक्षण नहीं मिला है इस पर भी जल्द कार्रवाई शुरू की जाए।