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नाहन में महानवमी और दशहरा के पावन पर्व पर निभाई गयी सदियों पुरानी धार्मिक परंपराएं

नाहन: ऐतिहासिक कालीस्थान स्थान मंदिर नाहन में शनिवार को महानवमी और दशहरे के पावन अवसर पर सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं का निर्वाह किया गया। सर्वप्रथम मंदिर में पहले नवरात्रि को स्थापित किये खड्ग की पूजा अर्चना कर खड्ग को वापिस राज परिवार को सौंप दिया गया। साथ ही सिरमौर की खुशहाली की मंगल कामनाओं को.

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नाहन: ऐतिहासिक कालीस्थान स्थान मंदिर नाहन में शनिवार को महानवमी और दशहरे के पावन अवसर पर सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं का निर्वाह किया गया। सर्वप्रथम मंदिर में पहले नवरात्रि को स्थापित किये खड्ग की पूजा अर्चना कर खड्ग को वापिस राज परिवार को सौंप दिया गया। साथ ही सिरमौर की खुशहाली की मंगल कामनाओं को लेकर हवन भी किया गया। खास बात तो यह है कि इस दौरान आठवीं शताब्दी से चली आ रही नादी परंपरा का निर्वाह पूरी आस्था के साथ किया गया। राज परिवार सदस्य एवं पूर्व विधायक कंवर अजय बहादुर सिंह, राजगुरु योगी किशोरी नाथ, राज पंडित देवांश मिश्रा सहित राज पुरोहित करण गौतम के सानिध्य में पूरे विधि विधान से इन मांगलिक कार्यों को पूरा किया गया। जानकारी देते हुए राज परिवार सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया की हर साल शारदीय नवरात्रि के पहले दिन खड्ग (ऐतिहासिक रियासत काल की दो धारी तलवार ) को मंदिर में स्थापित किया जाता है। जहां पर रोजाना खड्ग पूजा होती है। नवरात्रि के नौवे दिन यानी नवमी को सिरमौर की रक्षा करने के संकल्प के साथ खड्ग को राज परिवार को सौंप दिया जाता है। कंवर अजय बहादुर सिंह ने बताया यदुवंश की भाटी शाखा पर आठवीं शताब्दी में आक्रमण हुआ था। उन्होंने बताया कि विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारी द्वारा राजा गज की राजधानी गजनी पर हुए इस हमले को भारत पर हुआ पहला हमला माना जाता है। उन्होंने बताया कि इस हमले में राजा गज मारे गए। उनके बेटों की भी मार दिया गया या फिर उनका धर्मांतरण या जाति परिवर्तन करवा दिया गया। मगर इस आक्रमण में राजा गज का बड़ा बेटा बच गया। अपने प्राणों को बचाये रखने के लिए बेटे ने गुरु गोरखनाथ द्वारा स्थापित नाथ संप्रदाय की शरण ली। नाथ संप्रदाय ने उसके गले में नादी पहनाकर कर उसकी पहचान बदल कर उसके प्राणों की रक्षा की। इसके बाद जैसलमेर (राजस्थान) में फिर से राज स्थापित करने में नाथ समुदाय ने भाटी वंश की सहायता की। अजय बहादुर ने कहा कि तत्कालीन सिरमौर रियासत भी यदुवंश की भाटी शाखा से ही संबंधित है। लिहाजा तबसे लेकर राजगुरु द्वारा नादी पहनाकर इस परंपरा को आज भी मनाया जाता है। गौर हो कि काली स्थान मंदिर की गद्दी नाथ संप्रदाय के अनुयायियों को ही सौंपी जाती है, और उनको ही राजगुरू होने का दायित्व प्राप्त होता है। इस मौके पर राजपंडित परिवार के सदस्य योगेश मिश्रा, सचिन मिश्रा,गौरव मिश्रा, मनन मिश्रा, शुभम मिश्रा, अमरीश कंवर, विक्रम कंवर आदि राज परिवार से जुड़े लोग शामिल रहे।

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