High Court से याचिका खारिज होने के बाद दोबारा खुल गई लिफ्ट पार्किंग

शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारित होने के बाद शिमला के कोर एरिया की सबसे बड़ी लिफ्ट पार्किंग दोबारा शुरू हो गई है। बिना अनुमति दुकानें खोलने और मोबाइल टावर लगाने पर एमसी प्रशासन ने इस पार्किग का बिजली और पानी काट दिया है, जिसके चलते पार्किग संचालक ने शुक्रवार को पार्किग बंद कर.

शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारित होने के बाद शिमला के कोर एरिया की सबसे बड़ी लिफ्ट पार्किंग दोबारा शुरू हो गई है। बिना अनुमति दुकानें खोलने और मोबाइल टावर लगाने पर एमसी प्रशासन ने इस पार्किग का बिजली और पानी काट दिया है, जिसके चलते पार्किग संचालक ने शुक्रवार को पार्किग बंद कर दी थी। वहीं हाई कोर्ट ने कंपनी के निदेशक गौरव सूद के माध्यम से दायर याचिका को खारिज कर दी है। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने पर पाया कि प्रार्थी ने साफ नियत से कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया बल्कि नगर निगम को देय बकाया राशि के भुगतान से बचने के लिए यह याचिका दायर की है। उधर मामला एमसी आयुक्त कोर्ट में चलता रहेगा। वहीं पार्किग संचालक ने सोमवार को बिना बिजली और पानी की सुविधा के ही पार्किग दोबारा खोल दी। बता दें कि 2016 में शहर के सकरुलर रोड पर पीपीपी मोड पर बनी 653 गाड़ियों की यह पार्किग 56 करोड़ रुपए से तैयार की गई है। इस पार्किग के तीन भाग हैं। इसमें गाड़ियों के लिए पार्किग, व्यावसायिक क्षेत्र और वैल्यू एडिड सर्विस शामिल है। पार्किग शुरू होने के बाद से समझौते के अनुसार एक भी पैसा नगर निगम को नहीं दिया। इतना ही नहीं पार्किग पर मोबाइल टावर लगने की कोई राशि निगम को नहीं दी गई, जिसे लेकर नगर निगम आयुक्त कोर्ट से 3 जनवरी को जारी कारण बताओ नोटिस के आधार पर 7 जनवरी को इस पार्किग का बिजली और पानी काटने के आदेश जारी किए थे।

पार्किंग कंपनी पर अवैध निर्माण के आरोप

नगर निगम आयुक्त की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में पार्किग कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि पार्किग कॉम्प्लेक्स के 6 मंजिला इमारत के निर्माण की अनुमति थी जबकि मौके पर 7 मंजिला इमारत है। ग्राऊंड फ्लोर की ऊंचाई अनुमति से दोगुना कर दी गई। पार्किग के लिए सकरुलर रोड से केवल 2 एंट्री प्वाइंट की अनुमति थी जबकि मौके पर 3 एंट्री प्वाइंट है। सकरुलर रोड के लेवल से डेढ़ मीटर ऊंची इमारत बनाने की अनुमति थी जबकि मौके पर यह ऊंचाई पौने 7 मीटर है। इमारत की कुल ऊंचाई 26 मीटर से बढ़ा कर लगभग 34 मीटर कर दी गई।

बिना बिजली व पानी सुविधा के चल रही है तांतिया पार्किंग

बता दें कि संजौली की सबसे बड़ी तांतिया पार्किग के संचालक द्वारा अवैध निर्माण किए जाने पर एमसी ने बिजली-पानी काट दिया है। बावजूद इसके पार्किग संचालक पार्किग चला रहा है। वहीं इस संबंध में दायर याचिका को भी प्रदेश हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि नगर निगम आयुक्त की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में पार्किग कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि पार्किग इमारत के ऊपर बिना नगर निगम की अनुमति के मोबाइल टावर लगा दिया गया है। स्वीकृति प्राप्त पार्किग के पहले फ्लोर के कुछ हिस्से में एक कार्यालय और एक किचन बनाया गया है। दूसरे फ्लोर के कुछ हिस्से में भी एक कार्यालय और स्टाफ रूम बिना नगर निगम की अनुमति के बनाया गया है। इमारत की लंबाई को नव बहार की ओर अनुमति से ज्यादा लम्बा बना दिया गया है। सातवें फ्लोर पर बनाए जाने कुछ जरूरी निर्माण अभी तक नहीं बनाए गए हैं, जबकि इनको बनाने की अनुमति वर्ष 2012 में दी गई थी। इमारत के निर्माण में एनजीटी के आदेशों की अवहेलना का आरोप भी नगर निगम की ओर से लगाया गया है।

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