बनेर खड्ड में प्रवाहित की गई माता श्री बज्रेश्वरी देवी को चढ़ाई गई मिंजर

कांगडा(मनोज): माता श्री बज्रेश्वरी देवी की भव्य पिंडी को पर पीली डोरी से सुशोभित मिंजर पिछले मंगलवार को पूरे रीति-रिवाज के साथ बांधी गई थी। वर्षों पुरानी इस परंपरा का निर्वहन करते हुए आज 1 सप्ताह बाद माता को बांधी गई मिंजर कांगड़ा के साथ लगती बनेर खड्ड में प्रवाहित कर दिया गया। ढोल नगाड़ों.

कांगडा(मनोज): माता श्री बज्रेश्वरी देवी की भव्य पिंडी को पर पीली डोरी से सुशोभित मिंजर पिछले मंगलवार को पूरे रीति-रिवाज के साथ बांधी गई थी। वर्षों पुरानी इस परंपरा का निर्वहन करते हुए आज 1 सप्ताह बाद माता को बांधी गई मिंजर कांगड़ा के साथ लगती बनेर खड्ड में प्रवाहित कर दिया गया। ढोल नगाड़ों व विशेष पूजा अर्चना के बाद माता को चढ़ाई गई पीली डोरी से सुशोभित मिंजर को एक पालकी में सजाकर कांगड़ा से मुख्य बाजारों से होते हुए बनेर खड्ड पहुंची जहां पर यह विधि-विधान द्वारा बनेर खड्ड में प्रवाहित कर दी गई।गोटे की मिंजर को सायं माता बज्रेश्वरी देवी मंदिर से पालकी में रखकर शोभायात्रा के साथ बनेर खड्ड पर लाया गया। यह शोभायात्रा माता मंदिर से शुरू हुई और नेहरू चौक, मेन बाजार, तहसील चौक, गुप्त गंगा से होती हुई बनेर खड्ड पहुंची। इस मौके पर एसडीएम एवं सहायक आयुक्त मंदिर नवीन तंवर,मंदिर अधिकारी , व्यापार मंडल अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा, नरेंद्र त्रेहन, मनीष भल्ला,कर्मी,पुजारी वर्ग सहित शहर के सैकड़ों नागरिकों ने इस शोभायात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सावन के महीने के पहले मंगलवार को माता की पिंडी पर गोटे की मिंजर बांधी जाती है, जो कि इंद्रदेव को समर्पित होती है, ताकि बरसात में इलाका में कोई ज्यादा नुकसान न हो। वैसे तो मिंजर बांधने की परंपरा के अलग अलग रीति-रिवाज व धारणाएं है

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