Paragliding ने बदली बीड-बिलिंग की तकदीर, हजारों लोगों के लिए खुले स्वरोजगार के द्वार

पालमपुर,बैजनाथ : जिला कांगडा का बीड-बिलिंग घाटी ऐसा क्षेत्र है जिसकी तकदीर और तस्वीर पैराग्लाइिडंग से बदली है। बीडबिलिंग के युवाओं ने पैराग्लाइिडंग को ही रोजगार के रूप में अपनाकर उदाहरण प्रस्तुत किया है। आसमान को मानवपरिंदों से गुलजार रखने वाले इस क्षेत्न के लगभग हर घर से पैराग्लाइडर पायलट है। बीड-बिलिंग पैराग्लाइिडंग के लिये.

पालमपुर,बैजनाथ : जिला कांगडा का बीड-बिलिंग घाटी ऐसा क्षेत्र है जिसकी तकदीर और तस्वीर पैराग्लाइिडंग से बदली है। बीडबिलिंग के युवाओं ने पैराग्लाइिडंग को ही रोजगार के रूप में अपनाकर उदाहरण प्रस्तुत किया है। आसमान को मानवपरिंदों से गुलजार रखने वाले इस क्षेत्न के लगभग हर घर से पैराग्लाइडर पायलट है। बीड-बिलिंग पैराग्लाइिडंग के लिये विश्व में दूसरी और एिश्या में पहली बेहतरीन स्थली, दुनिया भर के पैराग्लाइिडंग के शौकिनों का पसंदीदा स्थान है। दुनिया भर से लोग यहां पैराग्लाइिडंग करने के लिये यहां आते हैं।

यहां के युवा पैराग्लाइिडंग केवल रोजगार के लिए नहीं करवाते बल्कि ज्योति ठाकुर, अरविंद, प्रकाश, मंजीत, कमल, सुरेश जैसे दर्जनों होनहार पैराग्लाइडर्स ने चीन, नेपाल, बुलगारिया, जापान इत्यादि देशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर प्रदेश का नाम भी रोशन किया है। धौलाधार पर्वत के श्रंखला के आंचल में बीड-बिलिंग घाटी, नैसिर्गक सौंदर्य, चाय के बागानों, पहाडी तथा तिब्बती संस्कृति के समावेश की अनोखी झलक और पैराग्लाइिडंग के लिए विख्यात होने के कारण अंतराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्न पर विशेष पहचान रखती है। प्रति वर्ष लाखों देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही से बैजनाथ उपमण्डल का छोटा सा गांव अब शहर में तबदील हो गया है। बीड-बिलिंग घाटी में लगभग 500 से 600 युवा लाईसेंस होल्डर पैराग्लाइिडंग पायलट हैं, जो प्रतिदन पर्यटकों को टेंडम प्लाईटस करवाकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं।

समुंद्र तल से लगभग 2290 मीटर की उंचाई पर स्थित बिलिंग की खोज इजरायली पायलट ने की थी। वर्ष 1982 में हैंगग्लाइिडंग के रूप में आरंभ यह खेल समय के साथ-साथ पैराग्लाइिडंग में परिविर्तत हुआ और पूरे क्षेत्न की खुशहाली और उन्नती का माध्यम बना और लोग आर्थिक रूप में सुदृढ होकर अब रोजगार देने की स्थिती में हैं। प्रदेश सरकार ने बीड-बिलिंग घाटी में साहासिक खेलों को बढावा देने के लिए पैराग्लाइिडंग आरंभ करवाई। यहां पैराग्लाइिडंग को बढ़ावा देने के लिए समय-समय राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

इस क्षेत्न को विशेष क्षेत्न विकास प्राधिकरण (साडा) के अंतर्गत लाकर इस क्षेत्न में बिना अनुमति निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध है। मुख्य संसदीय सचिव एवं बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल ने कहा कि पैराग्लाडिंग से बैजनाथ क्षेत्न को विश्व में पहचान मिली है। यहां खिलाडियों और पर्यटकों को और अधिक सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। विशेषज्ञों की राय के उपरांत अगर संभव हुआ तथा पैराग्लाडिंग के लिए कोई बाधा उत्पन्न नहीं हुई तो रोप-वे लगवाने का भी प्रयास किया जायेगा ताकि साहसिक खेलों के अतिरिक्त पर्यटन को और बढ़ावा मिले।

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