ऑस्ट्रिया की बिरगिट को सात समंदर पार ले आया प्यार, कांगड़ा के नौजवान के साथ लिए सात फेरे

धर्मशाला (यशपाल दरगेलिया) : प्यार करने वालों के लिए सरहदें मायने नहीं रखतीं। ऐसी ही प्रेम कहानी है ऑस्ट्रिया के वियाना की रहने वाली बिरगिट की। यही प्यार ऑस्ट्रिया की बिरगिट को सात समंदर पार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ले आया यानी गोरी मैम को पहाड़ी छोरा भा गया। बिरगिट ने जिला कांगड़ा के गनोह.

धर्मशाला (यशपाल दरगेलिया) : प्यार करने वालों के लिए सरहदें मायने नहीं रखतीं। ऐसी ही प्रेम कहानी है ऑस्ट्रिया के वियाना की रहने वाली बिरगिट की। यही प्यार ऑस्ट्रिया की बिरगिट को सात समंदर पार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ले आया यानी गोरी मैम को पहाड़ी छोरा भा गया। बिरगिट ने जिला कांगड़ा के गनोह पंजाहड़ा निवासी रमेश राज से हिंदू रीति-रिवाज के साथ सात फेरे लेकर एक-दूसरे को अपना जीवनसाथी बना लिया। शादी में भारतीय संस्कृति की झलक के साथ बैंड-बाजा भी बजाया गया।

इस दौरान शगुन सहित सभी अन्य रस्में अदा की गईं। वहीं घोड़ा नुमा बग्गी पर सवार दूल्हा सगे संबंधियों व अन्य के साथ घर से निजी पैलेस में बारात लेकर दुल्हन को लेने पहुंचा। परंपरा का निर्वहन करते हुए जयमाला भी पहनाई गई। इस दौरान लगन में बिरगिट की माता गैवरिल जुपाक व भाई रोमन बरुंथेलर ने अपना फर्ज अदा किया। पंडित ने लगन पढक़र सात फेरे करवाकर दूल्हा-दुल्हन को साथ जीने-मरने की कसमें दिलवाईं। कांगड़ा जिले के गनोह पंजाहड़ा निवासी देस राज कौंडल जून 1992 में ऑस्ट्रिया चले गए थे। इस दौरान 2003 में उन्होंने अपनी पत्नी सविता कौंडल व दोनों बेटों रमेश राज व दिनेश राज कौंडल को भी बुला लिया। उनका सारा परिवार व नव नवेली बहू ऑस्ट्रिया में सरकारी नौकरी करते हैं।

देस राज कौंडल ने बताया कि उनकी बहू की ऑस्ट्रिया की सहेली ने नौकरी के दौरान बेटे रमेश राज की मुलाकात बिरगिट से करवाई। यह मुलाकात जल्दी ही दोस्ती से बदलकर एक-दूसरे से जिंदगी भर का रिश्ता बनाने तक पहुंच गई। बेटे ने अपनी माता से इस विषय पर बात की। इसके बाद पिता ने भी शादी के लिए हामी भर दी। वहीं, बिरगिट के पिता लियोहार्ड रिचड्र्स और माता गैबरिल जुपाक भी बेटी के प्यार के लिए शादी पर राजी हो गए। बहरहाल अब दोनों ने शादी कर ली।

 

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