MP Vikram Sahney ने कंबाइन हार्वेस्टर के साथ बेलर के उपयोग की वकालत की

चंडीगढ़ : हाल ही में पंजाब की यात्रा के दौरान, राज्यसभा सांसद विक्रम साहनी ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब में पराली से निजात पाने हेतु, कंबाइन हार्वेस्टर के साथ बेलर का उपयोग अनिवार्य बनाने की आवश्यकता है। क्योंकि कंबाइन हार्वेस्टर धान उगाने वाली मिट्टी पर एक से दो फीट भूसे के डंठल.

चंडीगढ़ : हाल ही में पंजाब की यात्रा के दौरान, राज्यसभा सांसद विक्रम साहनी ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब में पराली से निजात पाने हेतु, कंबाइन हार्वेस्टर के साथ बेलर का उपयोग अनिवार्य बनाने की आवश्यकता है। क्योंकि कंबाइन हार्वेस्टर धान उगाने वाली मिट्टी पर एक से दो फीट भूसे के डंठल छोड़ देता है। इसलिए यह जरूरी है कि प्रत्येक कंबाइन हार्वेस्टर में पराली को पुआल की गांठों को बदलने के लिए एक बेलर लगाया जाए, जिससे पराली का उपयोग कर विभिन्न उत्पादन किए जा सके। साहनी ने दोहराया कि इस उपाय से ही पराली जलाने की समस्या का समाधान हो सकता है।

साहनी ने कहा कि हर साल, धान की कटाई के मौसम और गेहूं बोने से पहले की छोटी अवधि में खेतों में पराली जलाई जाती है। जलवायु परिवर्तन के कारण इन दोनों गतिविधियों के बीच समय कम होने से पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि हुई है जिससे वातावरण में गंभीर प्रदूषण होता है। साहनी ने कहा कि पराली का उपयोग कागज उद्योग, सीमेंट ईंटों के निर्माण, बायो-गैस और बायो-एथोनॉल उत्पादन में लाभकारी रूप से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से पंजाब के किसान पर्यावरण को बचाते हुए पराली के उत्पादक उपयोग के माध्यम से सामाजिक उद्यमी बन सकते हैं।

साहनी ने कहा कि केंद्र को घास बेलरों को किराया मुक्त करने और किसानों द्वारा भूसे की बिक्री को प्रोत्साहित करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। किसानों को धान-गेहूं के चक्र से बाहर निकालने के लिए वैकल्पिक फसलों के लिए एमएसपी प्रदान करने के लिए राज्य और केंद्र द्वारा एक सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण की आवश्यकता है। केंद्र सरकार को बेलर के निर्माण को भी प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें नाबार्ड जैसी एजेंसी की प्रणाली के साथ ब्लॉक विकास अधिकारियों के माध्यम से मुफ्त किराए पर देना चाहिए।

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