MP Vikramjit Sahney ने संसद में की बंदी सिखों की रिहाई की मांग

नई दिल्ली : सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने आज राज्यसभा में बंदी सिखों का मुद्दा जो लंबे समय से सिख समुदाय के लिए पीड़ा का विषय बना हुआ है उसे जोरदार ढंग से उठाया। साहनी ने कहा कि यह मुद्दा जटिल है एवं ऐतिहासिक, राजनीतिक और कानूनी विचारों से जुड़ा है। कई सालों से जेल.

नई दिल्ली : सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने आज राज्यसभा में बंदी सिखों का मुद्दा जो लंबे समय से सिख समुदाय के लिए पीड़ा का विषय बना हुआ है उसे जोरदार ढंग से उठाया। साहनी ने कहा कि यह मुद्दा जटिल है एवं ऐतिहासिक, राजनीतिक और कानूनी विचारों से जुड़ा है। कई सालों से जेल में बंद ये लोग पंजाब में उग्रवाद से संबंधित विभिन्न घटनाओं में शामिल थे। इन बंदी सिखों की लंबे समय तक कैद ने भारतीय न्यायिक प्रणाली की प्रासंगिकता के विषय में चिंताएं बढ़ा दी हैं। साहनी ने आगे कहा “न्याय में देरी से न्याय नहीं मिला।”

साहनी ने बताया कि पिछले दिनों बिलकिस बानो मामले के दोषियों को जेल में 15 साल पूरे करने के बाद और पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की जेल में 30 साल पूरे होने के बाद रिहा कर दिया गया। साहनी ने यह भी कहा कि कई ऐसे उदाहरण भी हैं, जिसमे अपराधियों ने जघन्य अपराध किए लेकिन उन्हें साल में 3-4 बार लगातार पैरोल दी गई। साहनी ने मांग की कि एक समान राष्ट्रीय स्तर की नीति होनी चाहिए जो समय से पहले रिहाई और छूट के मामलों पर निर्णय लेने वाली केंद्र और राज्य सरकार को नियंत्रित करे ताकि ऐसे सभी मामलों में एकरूपता बनी रहे।

साहनी ने सदन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि 11 अक्टूबर, 2019 की केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर कुछ बंदी सिख जैसे गुरदीप सिंह खैरा और देविंदर पाल भुल्लर की रिहाई मंजूर कर ली थी वहीं बलवंत सिंह राजवाना की फांसी की सजा आजीवन कारावास तब्दील कर दी गई थी। परंतु अभी तक इस फैसले पर अमल नहीं हो सका है। मालूम को की इन बंदी सिखों को 30 साल से अधिक समय से सलाखों के पीछे रखा गया है।

साहनी ने बताया कि इनमें से कई लोग गंभीर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारी का सामना कर रहे हैं और उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से बंदी सिखों के इन सभी मामलों की समीक्षा करने और उन्हें रिहाई देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग की। साहनी ने कहा कि बंदी सिखों का मुद्दा ऐतिहासिक अन्यायों को दूर करने और पंजाब में सौहार्द और सामाजिक सुधार को बढ़ावा देने के साधन की दिशा में एक आवश्यक कदम है।

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