Child Use Phone : एक समय ऐसा था जब हम सब लोगों को अपने रिश्तेदारों और दूसरे शहर गए परिवार के सदस्यों से बात करने के लिए समय निकालकर टेलीफोन बुथ तक जाना पड़ता था। आज की तरह आसानी से बात नहीं हो पाती थी, क्योंकि नेटवर्क में अक्सर बाधा रहती थी। धीरे-धीरे घरों में लैंडलाइन की सुविधा हुई, लेकिन पिछले 15-20 सालों से मोबाइल ने हमारी जिंदगी में एक अहम जगह बना ली है और अब हमें लैंडलाइन पर एक जगह खड़े होकर या बैठ कर बात नहीं करनी पड़ती। सब घुमते-फिरते मोबाइल फोन पर बात करना पसंद करते हैं, मोबाइल फोन के इस्तेमाल में कोई बुराई तो नहीं है। लेकिन इसे लेकर अवसर बच्चे, किशोर व क्यस्क भी मोबाइल लत के शिकार हो जाते हैं। मोबाइल पर बच्चों की हर वक्त बात करने की आदत तो एक समस्या है ही, किंतु मोबाइल पर उपलब्ध गेम व एप्स की लत लग जाना सबसे बड़ी परेशानी है। इसमें बच्चे अपना बहुत समय नष्ट करते हैं। और पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं। आज कल जमाना डिजिटल हो गया है, बच्चे ही नहीं बड़े भी मोबाइल पर अच्छा खासा समय बिताते हैं। ऐसे में माता-पिता के भी व्यस्त रहने की बात देखी जा सकती है। इसका नकारात्मक असर परिवार पर पड़ता है। आज के समय अक्सर देखा जा सकता है की बच्चे पढ़ाई छोड़ कर हद से ज्यादा मोबाइल और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस ओर कम ध्यान देते है की कहीं उन्हीं से तो बच्चों में आदत विकसित नहीं हो रही।
कहां गए वो दिन…
याद कीजिए वो दौर हमारा बचपन, जब हम आप स्कूल से आते थे। वस्ता घर पर पटक कर बैट और बॉल हाथ में थाम कर मोहल्ले के मैदान की ओर भागते थे, मां चिल्लाती थी बेटा खाना खा लो, हम जवाब देते थे, आकर खाऊंगा मां, तव हम घंटों क्रिकेट, फुटबॉल जैसा मैदान में खेले जाने वाला गेम खेलते थे, लेकिन अब दौर बदल गया है। आज बच्चे स्कूल से आता है तो बिना यूनिफॉर्म खोले हाथ में मोबाइल उठाता है और घंटों उसी में सिर गडकर उलझा रहता है। बच्चों के मोबाइल पर रहने का एक समय तय करे। जब वो मोवाइल पर हो तो उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखे, उन्हें टीवी स्क्रीन, कम्प्यूटर व स्मार्टफोन यूज करते समय स्क्रीन की एक निश्चित दूरी बनाने को कहे।