मेरे काम और मोदी जी के नाम पर BJP को वोट देगा मतदाता : Hema Malini

मथुरा लोकसभा सीट से दो बार की सांसद हेमा मालिनी ने कहा, कि ‘मैं मंझी हुई राजनेता नहीं हूं लेकिन सांसद होने के नाते यहां के लिए बहुत कुछ कर सकती हूं।

वृंदावनः एक दशक राष्ट्रीय राजनीति में बिताने के बावजूद ‘ड्रीमगर्ल’ हेमा मालिनी खुद को मंझी हुई राजनेता नहीं मानतीं लेकिन उनका कहना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में मतदाता उनके काम और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर भाजपा को वोट देंगे। मथुरा लोकसभा सीट से दो बार की सांसद हेमा मालिनी ने कहा, कि ‘मैं मंझी हुई राजनेता नहीं हूं लेकिन सांसद होने के नाते यहां के लिए बहुत कुछ कर सकती हूं। मैं कृष्णभक्त हूं और चुनाव नहीं लड़ती अगर सीट मथुरा नहीं होती। मैं राजनीति में आना नहीं चाहती थी लेकिन कृष्ण ने मुझे सेवा का मौका दिया है।’’ यह पूछने पर कि मथुरा के मतदाता 26 अप्रैल को चुनाव में हेमा मालिनी को वोट देंगे या नरेन्द्र मोदी के लिये वोट पड़ेंगे, उन्होंने कहा कि यह दोनों का संयोजन होगा।

उन्होंने कहा, कि ‘मोदी जी ने पूरे देश के लिए इतना कुछ किया है जिससे हमें वोट मिलेंगे लेकिन अगर आप पूछ रहे हैं कि मैंने क्या किया है तो मेरा काम खुद बोलता है।’’ प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र जाट सिख हैं और उनकी पत्नी और जाट बहू होने के अलावा रालोद नेता जयंत चौधरी के राजग के साथ आने से जाट बहुल सीट पर हेमा को एक बार फिर फायदा मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव में मथुरा लोकसभा की पांचों विधानसभा सीटों छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव पर भाजपा को मिली जीत भी उनके भीतर अपनी अपनी जीत के प्रति मजबूत भरोसा पैदा करती है।

हेमा ने कहा, कि ‘लगता है कि चुनाव एकतरफा रहने वाला है लेकिन हमें अधिकतम वोट लेने के लिए मेहनत करनी है। मैं जाट बहू हूं और जाटों से मुझे बहुत प्यार मिला है। इसके अलावा मैं ब्राह्मण भी हूं।’’ एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि सपनों का वृंदावन बनाने का काम अधूरा होने की वजह से वह तीसरी बार मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। उन्होंने कहा, कि ‘मुझे हमेशा से दुख था कि कृष्ण की जन्मभूमि को सुंदर क्यों नहीं रखा गया है। जब मैं सांसद बनी तो मैंने चीजों को बदलने की कोशिश की लेकिन इतना पर्याप्त नहीं था। महत्वपूर्ण चीज है लोगों की मानसिकता बदलनी चाहिए। जब मैं साफ सफाई पर जोर देती हूं तो लोग मेरी आलोचना करते हैं और बहुत से कहते हैं कि उन्हें स्थानीय सांसद चाहिए क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें वैसे ही जीते रहना चाहिए जैसा वे पिछले कई दशकों से जीते आ रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, कि ‘मैंने पार्टी से कहा कि मेरा काम अभी यहां अधूरा है और मुझे तीसरी बार टिकट दिया गया । मेरे सपनों का वृंदावन बनाने की दिशा में काफी काम बाकी है और उसमें से आधा भी हो गया तो मुझे संतोष रहेगा।’’ भाजपा ने उम्मीदवारों की पहली सूची में हेमा को मथुरा से प्रत्याशी बनाया था और 75 वर्ष की होने के बावजूद उन्हें टिकट दिया जाना भी पार्टी के अघोषित नियमों में एक अपवाद है। यह पूछने पर कि दो बार सांसद रहने के बाद अब क्या वह ‘बसंती’ की छवि से बाहर निकल आई हैं तो उन्होंने ‘ना’ में जवाब दिया।

उन्होंने कहा, कि ‘मैं इस छवि से कभी बाहर नहीं निकलूंगी। यह सदैव मेरे साथ रहेगी। मैंने 200 से अधिक फिल्में की हैं और लोग आज भी मुझे ‘शोले’ की बसंती या ‘सीता और गीता’ या ‘बागबान’ के लिए जानते हैं। मैं थ्री इन वन हूं यानी एक अभिनेत्री, शास्त्रीय नृत्यांगना और राजनेता । मैं अभी भी देश विदेश में नृत्य करती हूं और शास्त्रीय नृत्य के प्रति सर्मिपत हूं। फिल्मों में अच्छी भूमिका मिलेगी तो जरूर करूंगी। ये तीनों रोल मेरे ह्र्दय के करीब है।’’ यह पूछने पर कि मौका मिलने पर क्या सरकार में बड़ी भूमिका के लिए वह तैयार हैं, उन्होंने कहा, कि ‘मैं संतुष्ट प्राणी हूं और किसी चीज की आकांक्षा नहीं रही, लेकिन अगर मुझे कोई और भूमिका भी मिलती है तो मैं तैयार हूं। जो मुझे नहीं आता, वह मैं सीखती हूं और करती हूं।’’ ग्रामीण बहुल सीट पर क्या किसानों के आंदोलन का विपरीत असर उनके वोट बैंक पर पड़ेगा, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि मामले को अनावश्यक तूल दिया गया है।

उन्होंने कहा, कि ‘पहली बार जब मैंने चुनाव लड़ा तो लोग मेरे अभिनेत्री होने के कारण आर्किषत हुए लेकिन मन में यह कहीं ना कहीं था कि यह मुंबई में रहेंगी और यहां चुनाव के बाद नहीं आएंगी। मैंने उन्हें गलत साबित किया और यहां घर बनाया । वृंदावन में मेरा घर है तो मैं बाहरी कैसे हुई।’’

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