AGTF और Moga Police ने सुलझाई Santokh Singh की हत्या की गुत्थी, गोपी डल्लेवालिया गिरोह के 3 सदस्यों को किया गिरफ्तार

मोगा : मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशों पर शुरू की गई असामाजिक तत्वों के खिलाफ चल रही मुहिम को उस समय बड़ी सफलता मिली जब पंजाब पुलिस की एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) ने मोगा पुलिस के साथ एक संयुक्त ऑपरेशन में संतोख सिंह की निर्मम हत्या की गुत्थी सुलझा ली। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी).

मोगा : मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशों पर शुरू की गई असामाजिक तत्वों के खिलाफ चल रही मुहिम को उस समय बड़ी सफलता मिली जब पंजाब पुलिस की एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) ने मोगा पुलिस के साथ एक संयुक्त ऑपरेशन में संतोख सिंह की निर्मम हत्या की गुत्थी सुलझा ली। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने शुक्रवार को यहां बताया कि गोपी दल्लेवालिया गिरोह के तीन शूटरों की गिरफ्तारी हुई है।

गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान निर्मल सिंह उर्फ निम्मा, अपरैल सिंह उर्फ शेरा और जसकरण सिंह उर्फ करण के रूप में हुई है। पुलिस टीमों ने उनके कब्जे से तीन .32 कैलिबर पिस्तौल के साथ 10 जिंदा कारतूस और एक हुंडई वर्ना कार भी बरामद की है, जिसका इस्तेमाल अपराध में किया गया था। जानकारी के मुताबिक, 16 जुलाई 2023 को मोगा में चार हमलावरों ने संतोख सिंह की उनके घर में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी।

डीजीपी गौरव यादव ने कहा कि एडीजीपी प्रोमोद बान की देखरेख में एआईजी एजीटीएफ संदीप गोयल के नेतृत्व में एजीटीएफ की एक टीम ने विश्वसनीय खुफिया जानकारी के बाद मोगा पुलिस के साथ मिलकर जालंधर के मैहतपुर इलाके से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जो शूटर हैं और कुख्यात गोपी दल्लेवालिया गिरोह से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार, गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी दल्लेवालिया और गौरव शर्मा उर्फ गोरू बच्चा इस जघन्य हत्या के पीछे के मास्टरमाइंड हैं। उन्होंने बताया कि गैंगस्टर गोपी दल्लेवालिया एक घोषित अपराधी है और उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली, शस्त्र अधिनियम आदि से संबंधित 12 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं।

अधिक जानकारी देते हुए, एआईजी संदीप गोयल ने कहा कि पुलिस टीमें शेष आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आगे की जांच जारी है। एक केस एफआईआर नं. 155 दिनांक 16/07/2023 पहले से ही पुलिस स्टेशन सिटी मोगा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत दर्ज किया गया था।

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