पटियाला: गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर में वर्मीकंपोस्टिंग का उपयोग करके ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना और जैविक अपशिष्ट को पोषक तत्वों से भरपूर खाद में परिवर्तित करने में वर्मीकंपोस्टिंग की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। सम्मेलन में देश भर से प्रतिष्ठित शोधकर्ता, शिक्षाविद, किसान, छात्र, पीपीसीबी के नवनियुक्त एईई और जेईई, एसडब्ल्यूएमई, यूएलबी पीडब्ल्यूसीएसबी और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, नाभा और पर्यावरणविदों ने भाग लिया। विभागाध्यक्ष प्रो. राजिंदर कौर ने पर्यावरण स्थिरता में जैविक अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के चेयरमैन प्रोफेसर (डॉ.) आदर्श पाल विग ने प्रभावी अपशिष्ट निपटाने की तकनीकों की तत्काल आवश्यकता और प्रदूषण को कम करने में वमीर्कंपोस्टिंग की भूमिका पर जोर दिया। तकनीकी सत्रों में डॉ. राजन भट्ट (पीएयू कृषि विज्ञान केंद्र, अमृतसर), डॉ. श्वेता यादव (हरि सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश), डॉ. स्वर्णदीप सिंह (पीएयू, लुधियाना), और डॉ. जपनीत ढिल्लों (जीएनडीयू, अमृतसर) सहित प्रसिद्ध विशेषज्ञों के आमंत्रित व्याख्यान शामिल थे। उन्होंने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं, वमीर्कंपोस्टिंग में शामिल जैविक प्रक्रियाओं और टिकाऊ कृषि में इसके संभावित अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की।
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण जीएनडीयू के बॉटनिकल गार्डन में वमीर्कंपोस्टिंग पर कार्यशाला आयोजित करना था। इस सत्र के दौरान डॉ. आदर्श पाल विग, डॉ. सरोज अरोड़ा और डॉ.जसविंदर सिंह ने अन्य प्रतिभागियों के साथ वर्मीकंपोस्टिंग इकाई का दौरा किया और इसके संचालन के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त की। सुरिंदर सिंह, अतिरिक्त कमिश्नर, नगर निगम अमृतसर, ने शहर द्वारा अपनाई गई नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों और पहलों का अवलोकन प्रस्तुत किया। सम्मेलन का समापन एक भव्य समापन सत्र के साथ हुआ, जिसकी अध्यक्षता जीएनडीयू के उप कुलपति प्रो. (डॉ.) करमजीत सिंह ने की।