पंजाब: जीवन की कड़ी चुनौतियों के बावजूद न्यायिक परीक्षा उत्तीर्ण कर न्यायाधीश बने कई युवा

चंडीगढ़: खरड़ में एक गांव में रहने वाली परमिंदर कौर, तरनतारन जिले के एक गांव के निवासी नवबीर सिंह, मुक्तसर जिले के छोटे से कस्बे गिदड़बाहा में रहने वाली साक्षी अरोड़ा और मलेरकोटला की गुलफाम सैयद पंजाब के उन कई युवाओं में शामिल हैं, जिन्होंने आíथक तंगी और अन्य तमाम बाधाओं के बावजूद हौसला नहीं.

चंडीगढ़: खरड़ में एक गांव में रहने वाली परमिंदर कौर, तरनतारन जिले के एक गांव के निवासी नवबीर सिंह, मुक्तसर जिले के छोटे से कस्बे गिदड़बाहा में रहने वाली साक्षी अरोड़ा और मलेरकोटला की गुलफाम सैयद पंजाब के उन कई युवाओं में शामिल हैं, जिन्होंने आíथक तंगी और अन्य तमाम बाधाओं के बावजूद हौसला नहीं हारा और पंजाब सिविल सेवा (न्यायिक) परीक्षा उत्तीर्ण कर न्यायाधीश बनने का अपना सपना साकार किया।इन चयनित परीक्षाíथयों को दीवानी न्यायाधीश (कनिष्ठ प्रभाग) सह न्यायिक मजिस्ट्रेट के पदों पर भर्ती किया गया है।

एक निजी कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर कार्यरत सरमुख सिंह की बेटी परमिंदर कौर एक साधारण से कमरे में रहती थीं जिसमें पंखा तक नहीं था और वह र्सिदयों में अपने दरवाजे से गद्दा सटाकर रखा करती थीं, ताकि सर्द हवाओं से स्वयं को बचा सकें लेकिन उन्होंने गरीबी को अपनी दृढ इच्छा शक्ति में बाधा नहीं बनने दिया।परमिंदर ने कहा, ‘‘आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं कि उन सर्द रातों का शुक्रिया अदा करती हूं जिन्होंने मुझे सोने नहीं दिया और मुझे पढऩे के लिए और समय मिल गया।’’इसी प्रकार, एक इलेक्ट्रीशियन के बेटे नवबीर सिंह भी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले परीक्षाíथयों में शामिल हैं।नवबीर ने कहा, ‘‘मेरे पिता एक निजी इलेक्ट्रीशियन और मेरी मां गृहिणी हैं, जो परिवार की मदद करने के लिए पहले कपड़े सिला करती थीं।’’ उन्होंने कहा कि तमाम चुनौतियों और आíथक तंगी के बावजूद उनके माता-पिता एवं जुड़वां भाई ने हमेशा उनका साथ दिया। नवबीर के भाई को भी पिछले ही साल पटवारी के पद पर नौकरी मिली।

नवबीर ने कहा, ‘‘मैं और मेरा जुड़वां भाई रविवार और स्कूल की छुट्टियों में अपने पिता के काम में मदद करते थे। ऐसा समय भी था जब हमारे पास अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए पैसे नहीं थे और तब हमारे संबंधियों ने हमारी मदद की। आज मेरे न्यायाधीश बनने से पूरा गांव खुश है।’’ परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली एक अन्य परीक्षार्थी साक्षी अरोड़ा ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें न्यायाधीश बनने के लिए प्रोत्साहित किया।उन्होंने कहा, ‘‘माता-पिता को अपनी बेटियों को उनका सपना साकार करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह गर्व की बात की न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों में कई युवतियां शामिल हैं।’’मुस्लिम बहुल मलेरकोटला की रहने वाली गुलफाम सैयद के पिता एक मालवाहक वाहन चलाते हैं। सैयद ने कहा, ‘‘मेरे पिता ने शुरू से मेरा साथ दिया और मुझे पढऩे के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया।’’

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