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विजीलैंस ने 70,000 रुपए रिश्वत लेते P.N.D.T टीम के चार सदस्यों को रंगे हाथ किया काबू

पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने एक महत्वपूर्ण कार्यवाही के अंतर्गत हरियाणा और पंजाब

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चंडीगढ़: पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने एक महत्वपूर्ण कार्यवाही के अंतर्गत हरियाणा और पंजाब की सांझी प्री- कनसैप्शन और प्री- नैटल डायगनौस्टिक टैकनीक (पी.सी.पी.एन.डी.टी.) टीम के चार व्यक्तियों को स्टिंग आपरेशन दौरान 70,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों काबू किया है। इन्होनें अन्य कर्मचारियों और प्राईवेट व्यक्तियों के साथ मिल कर पंजाब और हरियाणा के अलग- अलग क्लीनिकों में चल रहे ग़ैर- कानूनी अल्ट्रासाउंड लिंग निर्धारन टैस्ट के लिए रिश्वत लेने के लिए एक अंर्तराज्यी गठजोड बनाया हुआ था।

इस सम्बन्धित जानकारी देते हुए राज्य विजीलैंस ब्यूरो के वक्ता ने बताया कि पकड़े गए व्यक्तियों की पहचान दीपक सिविल अस्पताल, सिरसा में फार्मासिस्ट के तौर पर तैनात गोयल पुत्र चमन लाल, ज़िला को-आरडीनेटर, पी.एन.डी.टी., सिविल सर्जन, बरनाला में तैनात गुरजीत सिंह पुत्र हमीर सिंह, सिवल सर्जन दफ़्तर बठिंडा में चपड़ासी के तौर पर तैनात राज सिंह पुत्र गुरतेज सिंह और सिविल सर्जन दफ़्तर सिरसा में ड्राईवर सुरिन्दर सिंह पुत्र राम कुमार के तौर पर हुई है।


इस सम्बन्धित जानकारी देते वक्ता ने कहा कि पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट, जो आम तौर पर पी.एन.डी.टी. एक्ट के तौर पर जाना जाता है, का मुख्य उद्देश्य जन्म से पहले के लिंग निर्धारन टैस्ट पर पाबंदी लगा कर मादा भ्रूण हत्या को रोकना है। यह दोनों लिंग के लिए बराबर मौके यकीनी बनाने के लिए डायगनौस्टिक तकनीक को भी नियमित करता है।

वक्ता ने आगे बताया कि पातड़ां, ज़िला पटियाला में तीन दशकों से महावीर अस्पताल चला रहे डा.अशोक कुमार ने विजीलैंस के पास पहुँच करके बताया कि 2020 में पंजाब के स्थानीय डाक्टरों और हरियाणा के सिरसा में पीएनडीटी इंचार्ज द्वारा सांझा जांच के बाद डा. अशोक को पीएनडीटी एक्ट के अंतर्गत दोषों का सामना करना पड़ा था। इसके बाद मार्च 2024 में उसके क्लीनिक, महावीर अस्पताल पर मारे गए छापे दौरान कोई सबूत नहीं मिला था।

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