बिलकिस के दोषी यह नहीं कह सकते- सजा माफी के आदेश पर सवाल नहीं उठाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को टिप्पणी की कि बिलकिस बानो मामले के दोषी, जिनकी सजा माफी के आवेदन पर शीर्ष अदालत के पहले के आदेश के अनुसार गुजरात सरकार ने विचार किया था, वे यह तर्क नहीं दे सकते कि सजा माफी के आदेश पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। एक दोषी की.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को टिप्पणी की कि बिलकिस बानो मामले के दोषी, जिनकी सजा माफी के आवेदन पर शीर्ष अदालत के पहले के आदेश के अनुसार गुजरात सरकार ने विचार किया था, वे यह तर्क नहीं दे सकते कि सजा माफी के आदेश पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। एक दोषी की ओर से पेश वकील को जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, ‘आप यह नहीं कह सकते कि (सर्वोच्च न्यायालय के) पहले के आदेश के कारण छूट आदेश पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। वह आदेश (छूट की) प्रक्रिया का प्रारंभिक बिंदु था। वह शुरुआत थी, अंत नहीं। चुनौती अंत को दी गई है।‘‘

पहले के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को राज्य की 1992 की नीति में छूट के संदर्भ में दो महीने के भीतर समयपूर्व रिहाई के आवेदन पर विचार करने और निर्णय लेने का निर्देश दिया था।पीठ ने कहा कि उसका पिछला आदेश इस हद तक सीमित था कि गुजरात सरकार दोषियों की सजा माफी की अर्जी पर फैसला करने के लिए उपयुक्त सरकार है और उसके बाद पारित सजा माफी आदेश प्रशासनिक आदेश की श्रेणी में आएगा।

एक दोषी की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्र ने दलील दी कि 1992 की गुजरात छूट नीति के लिए सर्वसम्मत निर्णय की जरूरत नहीं थी, बल्कि केवल विभिन्न हितधारकों के विचारों का मिलान जरूरी था।उन्होंने उचित ठहराया कि छूट आदेश की वैधता को केवल इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता कि महाराष्ट्र में सत्र न्यायाधीश द्वारा प्रतिकूल राय दी गई थी।इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दोषियों को ‘चुनिंदा‘ छूट नीति का लाभ देने के लिए गुजरात सरकार से सवाल किया था और कहा था कि तब तो सुधार और समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर प्रत्येक कैदी को दिया जाना चाहिए।

बचाव में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था कि 11 दोषी सुधार के अवसर के हकदार हैं और सजा माफी की मांग करने वाले उनके आवेदनों पर सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले के अनुसार विचार किया गया था।दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई चल रही है, जिसमें बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका भी शामिल है। मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी और तर्क किया था कि दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे।

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