नये तीनों कानूनों से हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली के अंदर बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री ने तीन नये कानून लोकसभा में पेश करते हुआ कहा कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि नए कानूनों में बलात्कार पर 20 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं, नाबालिग.

केंद्रीय गृह मंत्री ने तीन नये कानून लोकसभा में पेश करते हुआ कहा कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि नए कानूनों में बलात्कार पर 20 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं, नाबालिग से बलात्कार पर मृत्यु दंड का प्रावधान है।इस दौरान उन्होंने कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को (प्रचलित कानूनों में) 302वां स्थान दिया गया है, इसके बावजूद ​की कोई अन्य अपराध इससे अधिक जघन्य नहीं हो सकता। हम इस दृष्टिकोण को बदल रहे हैं, और प्रस्तावित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में पहला अध्याय अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित सजा के प्रावधानों पर होगा।

गृह मंत्री शाह ने कहा कि 1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार कार्य करती रही. तीन कानूनों को बदल दिया जाएगा और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा बदलाव आएगा। मंत्री ने कहा कि इस बिल के तहत हमने लक्ष्य रखा है कि कन्विक्शन रेश्यो को 90 प्रतिशत से ऊपर ले जाना है। इसीलिए हम एक महत्वपूर्ण प्रावधान लेकर आए हैं कि जिन धाराओं में 7 साल या उससे अधिक जेल की सजा का प्रावधान है, उन सभी मामलों में फॉरेंसिक टीम का अपराध स्थल पर जाना अनिवार्य कर दिया जाएगा।शाह ने कहा कि जीरो एफआईआर को भारतीय सुरक्षा संहिता विधेयक के तहत संहिताबद्ध किया जा रहा है। विधेयक के अनुसार, तलाशी व जब्ती के लिए वीडियोग्राफी अब अनिवार्य की जाएगी और 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों के लिए फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य होंगे।

वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानूनों में संशोधन करने जा रही है। इसके लिए सरकार दंड प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक 2023 लाएगी। शाह ने कहा कि ‘आज मैं जो तीन विधेयक एक साथ लेकर आया हूं, वे सभी पीएम मोदी के पांच प्रणों में से एक को पूरा करने वाले हैं। इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब ‘भारतीय न्याय संहिता 2023’ होगा। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ प्रस्थापित होगा।

इन-इन कानूनों में किया जाएगा बदलाव
आईपीसी: भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता, 2023 जगह लेगी। ये नया बिल आईपीसी के 22 प्रावधानों को निरस्त करेगा। साथ ही नए बिल में आईपीसी के 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है. नए विधेयक में नौ नई धाराएं भी जोड़ी गई हैं।

सीआरपीसी: आपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 लेगी। इसके जरिए सीआरपीसी के नौ प्रावधानों को निरस्त किया जाएगा। इसके अलावा विधेयक में सीआरपीसी के 107 प्रावधानों में बदलाव और नौ नए प्रावधान पेशशक की गई है।

इंडियन एविडेंस एक्ट: इसकी जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 लेगा। नया विधेयक में साक्ष्य अधिनियम के 5 मौजूदा प्रावधानों को निरस्त किया जाएगा। बिल में 23 प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है और एक नया प्रावधान पेश किया गया है।

ये हुआ है धाराओं में बदलाव

अपराध पहले अब

हत्या धारा-302 101

धोखाधड़ी धारा-420 धारा-316

भीड़भाड़-हंगामा धारा-144 धारा-187

देश के खिलाफ षड्यंत्र धारा-121 धारा-145

देश के खिलाफ गतिविधियां धारा-121ए धारा-146

मानहानि धारा- 499 धारा-354

रेप 376 धारा-63 में रेप, 64 में सजा,
गैंगरेप 70 में

मानहानि सेक्शन 499 और 500 धारा-354

धरना प्रदर्शन या दंगा-फसाद 147,148,149 नया सेक्शन

निषेधाज्ञा के उल्लंघन पर सेक्शन 188 नया सेक्शन

राजद्रोह कानून धारा- 124 ए धारा-150

 

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