यहां होती है देवी मां के नौ स्वरूपों की एक साथ पूजा, जानिए मंदिर का इतिहास

बुलंदशहरः उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले के खुर्जा में स्थित विख्यात नवदुर्गे शक्ति मंदिर प्रदेश का अपने आप में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां देवी के नौ रूपों की मूर्तियां अभिन्न रूप से एक साथ स्थापित की गयी है और यहां मां भगवती के सभी नौ रूपों के एक साथ दर्शन किये जा सकते हैं।.

बुलंदशहरः उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले के खुर्जा में स्थित विख्यात नवदुर्गे शक्ति मंदिर प्रदेश का अपने आप में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां देवी के नौ रूपों की मूर्तियां अभिन्न रूप से एक साथ स्थापित की गयी है और यहां मां भगवती के सभी नौ रूपों के एक साथ दर्शन किये जा सकते हैं। यह मंदिर 27 वर्ष पुराना है लेकिन सुदृढ़ता, भव्यता श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और देवी देवताओं के सभी नौ रूपों के एकसाथ दर्शन करने वाली अनूठी विशेषता के कारण यह सदियों से पुरानी शक्तिपीठ के समक्ष माना जाना लगा है। नवरात्र में तो यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी ही रहती है लेकिन उसके बाद भी यहां भक्तों का हमेशा तांता लगा रहता है देवी के चमत्कारिक दर्शन और उनकी पूजा अर्चना के लिए नवरात्र के दौरान क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि सुदूरवर्ती राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

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यह मंदिर 1100 वर्ग गज की क्षेत्रफल में बना हुआ है। मंदिर की धरातल से ऊंचाई 30 फुट और शिखर की ऊंचाई 60 फीट है इसकी अत्यधिक वर्गाकार एवं मेहराब दर नक्काशी और स्थापत्य शिल्प उच्च कोटि का है। परिसर के विशाल कक्ष में ही हो रही बड़ी शीशे की साथ सजा मंदिर की सुंदरता में अलौकिक छटा बिखेर देती है। गर्भ गृह शिव पंचायत अष्ट सिद्धि, नव सिद्धि शब्द ऋषि सरोवर पर्वत 18 पुराण 24 योग माया, 64 योगिनियों ,नवग्रह 108 रूद्र रूप आदि का पिंडों का निर्माण सभी अति आकर्षक है। विशाल प्रांगण में एक अक्षय वट भी है जिस पर श्रद्धालु अपनी मनोकामना का धागा बांधते हैं ।

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मंदिर निर्माण का इतिहास बहुत ही रोचक है नव दुर्गे शक्ति मंदिर समिति के पदाधिकारी ने बताया कि खुर्जा नगर के प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ तथा लोक नायक अस्पताल नई दिल्ली के पूर्व चिकित्सक डॉक्टर मोहनलाल गुप्ता को मां भगवती ने अनेक बार सपने में दर्शन देकर एक ऐसे मंदिर निर्माण के लिए प्रेरित किया जिसमें मां की एक ही रूप के अंदर अलग-अलग उनके नौ रूपों के दर्शन हो सके। समस्या बहुत जटिल थी डॉक्टर गुप्ता देश के अनेक राज्यों में जाकर बड़े-बड़े कुशल कारीगरों शिल्पकारों से मिले।

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अंत में हस्तशिल्प कला केंद्र लखनऊ के शिल्पी सुनील कुमार प्रजापति ने ऐसी मूर्ति बनाने का जिम्मा लिया। तीन वर्ष के अथक प्रयासों से मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ और उक्त हस्त शिल्प द्वारा बनाई गई इस अछ्वुत और चमत्कारिक मूर्ति को यहां स्थापित करके उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय देश के चारों शंकराचार्यो की उपस्थित में हुई थी। डॉक्टर गुप्ता को नवदुर्गे शक्ति मंदिर समिति का आजीवन सचिव बनाया गया।

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