आय दिन कोई ना कोई बीमारी देश में अपना रूप दिखा रही है। जेसे कि दो तीन सालों से कोरोना का बुरा प्रभाव रहा है। लेकिन अब कोरोना का प्रभाव कम हुआ तो वहीं इस वक्त भारत में नई फ्लू यानी कि स्प्रिंग इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी तेजी से फैल रही है। इस बीमारी में सांस फूलने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन्फ्लूएंजा के इंजेक्शन को लेकर कम जागरुकता के चलते इसके मामले देश भर में बढ़ते जा रहे हैं, वहीं बात करें स्वास्थय विशेषज्ञों का कहना है की व्यक्ति को हर साल इन्फ्लूएंजा का इंजेक्शन लगवाना बहुत ज्यादा जरुरी है क्योंकि ये बीमारी कोरोना से भी खतरनाक साबित हो सकती है।
एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रहने वाली लक्षणों के साथ देश भर में इन्फ्लूएंजा के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है, जिसके चलते वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है। जबकि देश भर में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। गले में खराश होना, खाना निगलने पर दर्द होना, तेज बुखार और टॉन्सिल में सूजन होना इन्फ्लूएंजा के लक्षण हैं। भारत में, इन्फ्लूएंजा के टीके, या फ्लू शॉट्स जिन्हें हर साल लगवाने की जरुरत होती है। लेकिन जागरूकता कम होने के चलते इसे एक आम बीमारी मानकर चलते हैं।
कहा जा रहा है कि देश भर में इन्फ्लूएंजा के मामले बहुत ज्यादा दर्ज कराए जा रहें है। इस बीमारी में गले में खराश होना, खाना निगलने पर दर्द होना, तेज बुखार और टॉन्सिल में सूजन होना लक्षण देखने को मिल रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि इन्फ्लूएंजा के टीके हर साल लगवाना बहुत जरूरी है।हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक दो महीनें से इन्फ्लुएंजा का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। हर एक व्यक्ति इसके दुष्प्रभाव बुखार, खांसी, आवाज की कमी और सांस फूलने की समस्या से परेशान है।
स्प्रिंग इन्फ्लूएंजा की बीमारी वायरस के कारण होता है जो नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित करता है। जब बीमार लोग खांसी, छींक या बात करें, श्वसन कण हवा में छोड़े जाते हैं और आसपास के व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं। दूषित हाथों से होंठ, आंख या नाक को छूने से भी व्यक्ति फ्लू की चपेट में आ सकता है। अगर इसके बाद भी बुखार ठीक न हो तो डॉक्टर के पास जाकर उनकी राय लें।