Rio De Janeiro : ब्राजील 18-19 नवंबर, 2024 को रियो डी जनेरियो शहर में 19वें जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। ब्राजील, जिसने पिछले साल नवंबर में भारत से जी20 अध्यक्षता पद संभाला था, ने ‘बिल्डिंग ए जस्ट वर्ल्ड एंड ए सस्टेनेबल प्लैनेट‘ थीम पर अपना अध्यक्षता पद बनाया है और इसके भीतर तीन प्रमुख प्राथमिकताएं निर्धारित की हैं: सामाजिक समावेशन और भूख और गरीबी के खिलाफ लड़ाई, ऊर्जा परिवर्तन और सतत विकास को बढ़ावा देना, और वैश्विक शासन संस्थानों में सुधार। G20, या ग्रुप ऑफ ट्वेंटी, 1999 में दुनिया के 20 प्रमुख देशों और अर्थव्यवस्थाओं द्वारा गठित एक अंतरराष्ट्रीय ब्लॉक है। अब इसमें सात सबसे विकसित देश, 12 विकासशील देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं, 2023 में अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में मंजूरी दी गई है।
अमेरिका, यूरोप, एशिया और अफ्रीका की आर्थिक शक्तियों के वैश्विक नेता दुनिया के कुछ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे और उन्हें संबोधित करेंगे। विकसित देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएँ अपनी जिम्मेदारियों का समन्वय कैसे करेंगे? यह बड़ा प्रश्न है।
इस विषय पर हमने चीन मामलों के जानकार श्री प्रसून शर्मा से बातचीत की, जिसने उन्होंने बताया कि “यह समूह विश्व के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85% और वैश्विक व्यापार का 75% प्रतिनिधित्व करता है। यह मंच आर्थिक स्थिरता, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और वैश्विक शासन जैसे मुद्दों पर चर्चा और समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।” प्रसून कहते हैं कि “रियो शिखर सम्मेलन में सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हरित प्रौद्योगिकियों और स्वच्छ ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के उपायों पर सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।न्यायपूर्ण आर्थिक प्रणाली और वैश्विक दक्षिण के देशों को सशक्त बनाने के लिए नीतियां बनाई जाएंगी। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और खाद्य एवं ऊर्जा संकटों का समाधान करने के लिए चर्चा होगी। भारत और चीन, दोनों ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ती ताकतें हैं।” भारत-चीन के संबंध में वह कहते हैं कि “भारत सतत विकास, डिजिटल समावेशन और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ को बुलंद करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ़ चीन जलवायु परिवर्तन और हरित प्रौद्योगिकियों में निवेश के साथ-साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। 2022 से 2025 तक G20 शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया जाएगा। कई विशेषज्ञों का कहना है कि उभरते देशों के पास जी20 की अध्यक्षता के उत्तराधिकार ने भी जी20 में “वैश्विक दक्षिण एजेंडा” की पुष्टि में योगदान दिया है।”
इस बीच, चीन और ब्राज़ील ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी बनाए रखी है। आंकड़ों से पता चलता है कि चीन लगातार 15 वर्षों से ब्राजील का शीर्ष व्यापारिक भागीदार रहा है, जबकि ब्राजील चीन का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और लैटिन अमेरिका में प्रत्यक्ष निवेश गंतव्य है, जिसका द्विपक्षीय व्यापार लगातार छह वर्षों से 100 अरब डॉलर से अधिक है।
15 अगस्त, 2024 को, शी ने दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ पर ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ बधाई संदेशों का आदान-प्रदान किया। चीन और ब्राजील के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और उन्नत किए जाने की संभावना है, और आर्थिक और व्यापार, हरित परिवर्तन, डिजिटल अर्थव्यवस्था, लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान और राजनीतिक विश्वास के मामले में दोनों पक्षों के बीच सहयोग एक स्तर पर पहुंचेगा।
ब्राज़ील, इस बार के अध्यक्ष के रूप में, लैटिन अमेरिका की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की चुनौतियों को सामने लाने की कोशिश करेगा। इसमें कृषि, ऊर्जा और जैव विविधता संरक्षण पर जोर रहेगा। इस शिखर सम्मेलन से उम्मीद है कि वैश्विक नेताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और न्यायपूर्ण व सतत विकास की दिशा में ठोस नीतियां बनाई जाएंगी। “न्यायपूर्ण विश्व और स्थायी ग्रह” का यह लक्ष्य केवल तभी हासिल हो सकता है जब सभी देश आपसी मतभेदों को दरकिनार कर साझा जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ें। रियो डी जेनेरो में जी20 शिखर सम्मेलन से वैश्विक विकास और स्थिरता की नई राहें खुलने की उम्मीद है।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक—देवेंद्र सिंह)