नवरात्रि के दिनों में इन मंत्रों का करें जाप, मिलेगा मातारानी का आशीर्वाद, बरसेगी कृपा

नवरात्रि शुरुआत इस साल 15 अक्टूबर दिन रविवार को होने जा रही है। इन दिनों में मां दुर्गा जी के नौ अवतारों की पूजा अर्चना पूरी विधि विधान के साथ की जाती है। माना जाए है कि इन दिनों मां के नौ अवतारों की पूजा करने से बेहद लाभ प्राप्त होता है। लेकिन कुछ लोगों.

नवरात्रि शुरुआत इस साल 15 अक्टूबर दिन रविवार को होने जा रही है। इन दिनों में मां दुर्गा जी के नौ अवतारों की पूजा अर्चना पूरी विधि विधान के साथ की जाती है। माना जाए है कि इन दिनों मां के नौ अवतारों की पूजा करने से बेहद लाभ प्राप्त होता है। लेकिन कुछ लोगों द्वारा इस दिन कुछ विशेष मंत्रो का भी जप भी किया जाता है। मान्यता के अनुसार नवरात्रि में मंत्र का जाप और ध्यान करने से माता खुश होकर आपको खुशहाली और समृद्धि का वरदान देती हैं। आइए जानते है इन मंत्रों के बारे में:

इन मंत्रों का करें जाप….

(ॐ शैलपुत्र्यै नमः)
1. आचार्य पं हरिओम मिश्रा ने मां के पहले दिन से 9वें दिन तक के लिए मंत्र के जाप और ध्यान करने के लिए अलग अलग दिन मंत्र और पूजा इस प्रकार से बताया है कि पहले दिन कन्या एवं धनु लग्न में अथवा अभिजिन्मुहूर्त में घटस्थापना की जाएगी. पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है. मां दुर्गा की उपासना में दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यन्त लोकप्रिय है. यह नवरात्रि में ही संपन्न हो जाता है. इसमें कुल 13 अध्याय होते हैं. नवरात्र में श्रीमद्देवीभागवत पुराण के पाठ का भी प्रचलन है. यह पुराण सभी पुराणों में अतिश्रेष्ठ होता है. माता शैलपुत्री के ध्यान एवं जपनीय मंत्र है.

(ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः)
2. दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है. प्रथम दिन की तरह दुर्गासप्तशती का पाठ करें. साथ ही श्री मद्देवीभागवत का पाठ एवं मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के तृतीय स्कन्ध से चतुर्थ स्कन्ध के अष्टम अध्याय तक पाठ करना चाहिए. अन्त में श्रीमद्देवीभागवत पुराण की आरती करनी चाहिए. इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र है.

(ॐ चंद्रघण्टायै नमः)
3. तीसरे दिन माता दुर्गा के चन्द्रघंटा स्वरूप की उपासना की जाती है. मां चंद्रघण्टा को दूध से बने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. इस दिन देवीभागवत के चतुर्थ स्कन्ध के 9वें अध्याय से आरंभ करते हुए पंचम स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र है.

(ॐ कूष्माण्डायै नमः)
4. नवरात्रि के चौथे दिन माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है. मां भगवती का ध्यान करने के बाद देवीभागवत के पंचम स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए छठवें स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र है.

(ॐ स्कन्दमात्रै नमः)
5. 5वें दिन माता मां स्कन्दमाता स्वरूप की उपासना की जाती है. देवीभागवत के छठे स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए 7वें स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. अन्त में मां भगवती की आरती करें. मां का ध्यान मंत्र है.

(ॐ कात्यायन्यै नमः)
6. नवरात्र के 6वें दिन माता कात्यायनी स्वरूप की उपासना की जाती है. मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के 7वें स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए 8वें स्कन्ध के 17वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. मां कात्यायनी के विशेष पूजन के लिए कुमकुम और हल्दी का अर्चन श्रेष्ठ बताया गया है. मां को दूध से बनी मिठाई जैसे पेडे, खीर आदि का भोग लगाया जाता है. इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र है.

(ॐ कालरात्र्यै नमः)
7. नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की उपासना की जाती है. मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के आठवें स्कन्ध के 18वें अध्याय से आरंभ करते हुए 9वें स्कन्ध के 28वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए. देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी काली, महाकाली भद्रकाली,भैरवी,चामुंडा,चंडी आदि रूपों में से माना जाता है. इनका ध्यान और जपनीय मंत्र है.

(ॐ महागौर्ये नम:)
8. नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है. इस दिन मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के 9वें स्कन्ध के 29वें अध्याय से आरंभ करते हुए दसवें स्कन्ध की समाप्ति तक पाठ करना चाहिए. इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र है.

(ॐ सिद्धिदात्र्यै नमः)
9. नवरात्र के 9वें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की उपासना की जाती है.देवीभागवत के 11वें स्कन्ध के प्रथम अध्याय से आरंभ करते हुए 12वें स्कन्ध की समाप्ति तक पाठ करना चाहिए. अंतिम दिन पाठ समाप्ति के पश्चात् हवन करना चाहिए. इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र है.

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