मां दुर्गा की उपासना का त्योहार शारदीय नवरात्र शुरू, जानिए कलश स्थापना का विशेष महत्व

पटना: बिहार में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की उपासना का त्योहार शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया। शुभ मुहुर्त में विधि विधान से नवरात्र आराधना को लेकर कलश की स्थापना कर पूजा शुरू की गई। शारदीय नवरात्र को लेकर सुबह होते ही लोग पूजा की तैयारी में लग गये। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान.

पटना: बिहार में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की उपासना का त्योहार शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया। शुभ मुहुर्त में विधि विधान से नवरात्र आराधना को लेकर कलश की स्थापना कर पूजा शुरू की गई। शारदीय नवरात्र को लेकर सुबह होते ही लोग पूजा की तैयारी में लग गये। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान भी किया। इस व्रत को करने वाले लोगों ने घर की साफ-सफाई पूरी करने के बाद कलश स्थापना की।इसके साथ ही मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का नौ दिवसीय अनुष्ठान आज से शुरू हो गया। मान्यता है कि मां भवानी नवरात्रि के नौ दिन पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करती हैं। घरों और मंदिरों में पूजा-पाठ एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरु हो गया।

अपने पहले स्वरूप में मां ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। नवरात्र के पहले दिन भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जा रही है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त होते हैं। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना में पटना आसपास के इलाके के लोग सुबह से ही भक्ति में लीन रहे। मंदिरों तथा घरों में कलश स्थापना के साथ देवी दुर्गा की आराधना शुरू हो गई है। इस मौके पर बिहार में सभी देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। इस बार नवरात्रि पर्व बेहद खास है। देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो काफी शुभ माना जाता है।

आचार्य राकेश झा ने बताया कि आज से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन में वेदोक्त मंत्रोच्चार करते हुए कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। इसीलिए इसकी स्थापना शुभ मुहूर्त में करना फलदायी होगा। कलश पूजन से सुख- समृद्धि, धन, वैभव, ऐश्वर्य, शांति, पारिवारिक उन्नति तथा रोग-शोक का नाश होता है। जगत जननी की कृपा एवं सर्वसिद्धि की कामना से उपासक फलाहार या सात्विक अन्न ग्रहण करते हुए दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय के कुल 700 श्लोको का सविधि पाठ करेंगे।इन दस दिवसीय दुर्गा पूजा के अंतर्गत चार रवियोग, दो सिद्ध योग, एक त्रिपुष्कर योग, दो सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग, एक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे है। इनके अलावे प्रीति योग, आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, शोभन योग एवं सुकर्मा योग भी विद्यमान रहेगा।नवरात्र के बनने वाले शुभ योगों में नए कामों की शुरुआत करना श्रेष्ठ होगा।

- विज्ञापन -

Latest News