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पक्षियों को सुरक्षित प्रवास प्रदान करने के लिए चीन में हो रहे हैं व्यापक प्रयास

चीन तमाम प्रवासी पक्षियों का प्रमुख आश्रय स्थल है। विशेष रूप से दुनिया भर के नौ प्रमुख फ्लाइवे(उड़ने वाले मार्गों) में से दो चीन के येलो रिवर डेल्टा नेचर रिजर्व से होकर गुजरते हैं। इसे देखते हुए उक्त रिजर्व ने हाल के वर्षों में आर्द्रभूमि और वनस्पति को बहाल करने के साथ-साथ यहां से गुजरने.

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चीन तमाम प्रवासी पक्षियों का प्रमुख आश्रय स्थल है। विशेष रूप से दुनिया भर के नौ प्रमुख फ्लाइवे(उड़ने वाले मार्गों) में से दो चीन के येलो रिवर डेल्टा नेचर रिजर्व से होकर गुजरते हैं। इसे देखते हुए उक्त रिजर्व ने हाल के वर्षों में आर्द्रभूमि और वनस्पति को बहाल करने के साथ-साथ यहां से गुजरने और प्रवास करने वाले पक्षियों की निगरानी बढ़ाने के लिए नई तकनीक आदि का इस्तेमाल शुरू किया है। विशेषज्ञों के मुताबिक तकनीक के उपयोग से पर्यावरण और मानवीय गतिविधियों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है, साथ ही जैव विविधता संरक्षण के लिए ज्यादा संभावनाएं पैदा होती हैं।

यहां बता दें कि शानतोंग प्रांत के तोंगयिंग में पीली नदी के मुहाने पर स्थित येलो रिवर डेल्टा नेशनल नेचर रिजर्व में सर्दियों के मौसम में पक्षियों का आना-जाना बढ़ जाता है। बता दें कि पूर्वी एशियाई-ऑस्ट्रेलियाई फ्लाईवे और पश्चिमी प्रशांत फ्लाईवे यहां से होकर गुजरते हैं। साथ ही हर साल इस इलाके में लाखों पक्षी रुकते हैं, जिससे यह प्रवासी पक्षियों के लिए प्रमुख प्रवास केंद्र बन गया है। इसके कारण उनकी सुरक्षा भी बहुत अहम हो जाती है। बताया जाता है कि यह रिजर्व लगभग 1 लाख 53 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें से 70 फीसदी से अधिक क्षेत्र आर्द्रभूमि है। यहां जल आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया गया है, ताकि आर्द्रभूमि और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा की जा सके। 

हाल के वर्षों में इस रिजर्व में जल पुनःपूर्ति संबंधी चैनल लांच किए गए हैं, आर्द्रभूमि को बहाल करने के लिए स्थानीय पीली नदी से अधिक जल रिजर्व वाले क्षेत्र में भेजा रहा है। रिजर्व की प्रबंधन समिति के उप निदेशक लियु चिंग ने बताया कि यहां पिछले दो वर्षों में हर साल 175 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का रुख रिजर्व की ओर मोड़ने में सफलता हासिल हुई है। जल का रुख बदलने की क्षमता में भी इजाफा किया गया है। जो पहले महज 40 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड थी, अब उसे बढ़ाकर 131 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड कर दी गयी है। 

इसके साथ ही यहां उपयोगी वनस्पति को बहाल किया जा चुका है। रिजर्व ने साल 2022 से लगभग 100 हैक्टेयर समुद्री घास के बेड को पुनः स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है। समुद्री घास का बेड छोटी मछलियों और केकड़ों आदि के लिए अच्छा होता है, जो कि पक्षियों का पौष्टिक भोजन होता है। बताते हैं कि समुद्री ज्वार के कम होने पर पीली नदी के मुहाने पर समुद्री घास का एक बड़ा हिस्सा जमा हो जाता है। चीनी विज्ञान अकादमी के समुद्र विज्ञान संस्थान के शोधकर्ता समुद्री घास बेड के अनुसंधान में लगे हुए हैं और बार-बार इस जगह का दौरा करते हैं। यह मुहाना कभी चीन में सबसे बड़ा ईलग्रास बेड होता था, लेकिन वर्ष 2019 में तूफान लेकिमा ने 660 हैक्टेयर से अधिक घास के बेड को नष्ट कर दिया। जिससे यहां मिट्टी के एक क्षेत्र के अलावा कुछ भी नहीं बचा था। 

कहा जा सकता है कि चीन सरकार के इन प्रयासों से न केवल पक्षियों को आरामदायक वातावरण मिल रहा है, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा भी हो रही है। जो कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर ढंग से बहाल करने में मदद दे रहा है। 

(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

 

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