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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अडानी समूह द्वारा स्टॉक मूल्यों में कथित गड़बड़ी के आरोपों की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने से इनकार करने संबंधी तीन जनवरी 2024 के अपने फैसले की समीक्षा की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने पिछले फैसले पर पुनर्विचार के लिए अनामिका जायसवाल द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दी। पीठ ने आठ मई को पारित अपने संक्षिप्त आदेश में कहा,“समीक्षा याचिका का अवलोकन करने के बाद, रिकॉर्ड में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है।”
शीर्ष अदालत के नियम 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के तहत समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए, पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है। उच्चतम न्यायालय के नियमों के अनुसार, बिना संबंधित वकील से कागजात साझा किए न्यायाधीशों के कक्षों में पुनर्विचार याचिका पर विचार किया जाता है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में तब सीबीआई या एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि बाजार नियामक संस्था सेबी आरोपों की ‘व्यापक जांच’ कर रहा और उसका आचरण ‘विश्वास जगाता है।’
शीर्ष अदालत ने तब सेबी से कहा था कि वह अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच तीन महीने के भीतर पूरी करे। पुनर्विचार याचिका दायरकर्ता अनामिका जायसवाल ने फरवरी (वर्ष 2024) में अधिवक्ता नेहा राठी के माध्यम से अपनी याचिका में दावा किया था कि फैसले में ‘गलतियां और त्रुटियां’ थीं।याचिकाकर्ता के वकील द्वारा प्राप्त कुछ नए तथ्यों के आलोक में फैसले की समीक्षा के पर्याप्त कारण थे।
याचिका में तर्क दिया गया था कि सेबी ने अपनी रिपोर्ट में आरोपों पर की गई 24 जांचों की स्थिति के बारे में न्यायालय को केवल अपडेट किया था, लेकिन किसी निष्कर्ष या की गई कार्रवाई का विवरण नहीं दिया था। पीठ की ओर से पुनर्विचार याचिका पर आठ मई को पारित यह फैसला 15 जुलाई को शीर्ष अदालत की बेवसाइट पर अपलोड की गई।