सिरसा: हरियाणा के सिरसा जिले में वि•िान्न मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता पिछले 19 दिनों से लघु सचिवालय में धरना दे रही हैं। प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं ने शनिवार को उपायुक्त कार्यालय से लेकर प्रदर्शन करते हुए बिजली मंत्री रणजीत सिंह के आवास के बाहर पहुंची और रोष का इजहार किया। प्रदर्शनकारियों ने यहां मंत्री के प्रतिनिधि को एक ज्ञापन भी सौंपा।
धरने की अध्यक्षता करते हुए जिला प्रधान दर्शना तथा कलावती माखोसरानी ने बताया कि सरकार की ओर आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 2018 के बाद से नहीं बढ़ाया गया है, जबकि उनका काम पांच गुना बढ़ा दिया गया है। उन्होंने सांसदों, मंत्रियों तथा विधायकों के साल में बढ़ाए जाने वाले वेतन को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
उन्होंने कहा कि इतना काम करने के बाद भी आशा कार्यकर्ताओं को मूल वेतन नहीं दिया जा रहा, जबकि सांसदों, मंत्रियों तथा विधायकों के वेतन में अकारण बढ़ोतरी की निंदा की, क्योंकि उन्हें पहले से ही सभी वेतन, भत्त्ते तथा खर्चे मिलते हैं, तो फिर वेतन किस नाम का। वेतन न बढ़ाने तथा काम के अधिक बोझ के कारण आशाओं को दोहरी परेशानी झेलनी पड़ रही है। सरकार की इस बेरूखी के कारण आशाओं में बहुत ज्यादा रोष है। यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार बार-बार कहती है कि हड़ताल से आम जनता को कोई नुकसान नहीं हो रहा है, जबकि जब से आशा वर्कर हड़ताल पर आई हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ 28 अगस्त को पंचकूला विधानसव्भा क्षेत्र का घेराव भी किया जाएगा। अगर इसके बावजूद भी सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी, तो हड़ताल को आगे बढ़ाया जा सकता है। इस दौरान जो भी जनहित में नुकसान होगा, उसके जिम्मेदार सरकार तथा अधिकारी होंगे। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि आशा वर्कर का न्यूनतम वेतन 26 हजार रूपए किया जाए। आशा वर्कर को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। आशा कार्यकर्ताओं की सेवानिवृति की उम्र 65 वर्ष की जाए।