हरित ऊर्जा के उपयोग पर ध्यान जरूरी, देश की बेस्ट ई-व्हीकल पॉलिसी हरियाणा में : डिप्टी सीएम

चंडीगढ़: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि समाज की भलाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित प्रथाओं के उपयोग पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा ही वह बेहतर विकल्प है जो भारत में निरंतर विकास को गति दे सकती है और इस दिशा में यहां उल्लेखनीय प्रयास कर.

चंडीगढ़: हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि समाज की भलाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित प्रथाओं के उपयोग पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि हरित ऊर्जा ही वह बेहतर विकल्प है जो भारत में निरंतर विकास को गति दे सकती है और इस दिशा में यहां उल्लेखनीय प्रयास कर रहा है। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला वीरवार को गुरुग्राम विश्वविद्यालय में दो दिवसीय संयुक्त अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने इलेक्ट्रिक कारों, सोलर लाइटें, आईटी उद्योग के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि व्यवसाय, टेक्नोलॉजी और पर्यावरण के क्षेत्र एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने बेहतर भविष्य के लिए ऊर्जा के संरक्षण को आवश्यक बताया और कहा कि आज हरियाणा प्रदेश देश की श्रेष्ठ इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के तहत इस दिशा में आगे बढ़ रहा है।

उपमुख्यमंत्री ने गुरुग्राम स्थित ऊर्जा और संसाधन संस्थान के बारे में कहा कि यह संस्था हरित ऊर्जा को बनाए रखने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि आज भारत में बहुत ही ऐसी निजी व सरकारी संस्थाएं हैं जो हरित ऊर्जा जैसे विषयों पर शोध कर रही हैं। ऐसे में हमें हमारे विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में हरित ऊर्जा जैसे विषयों को भी प्राथमिकता देनी होगी। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरित ऊर्जा की लागत ऐसी होनी चाहिए कि जो प्रत्येक व्यक्ति के उपयोग के लिए उपलब्ध हो। डिप्टी सीएम हरियाणा के उचाना क्षेत्र के गांव गुरुकुल खेड़ा का जिक्र करते हुए कहा कि इस वर्ष नवंबर माह के अंत तक यह गांव पूरी तरह से प्रदेश का पहला सोलर विलेज होगा। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा सिस्टम लगने के बाद घरों में सोलर के जरिए ही बिजली की सप्लाई होगी और गांव बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने जीयू द्वारा आयोजित कार्यक्रम की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि व्यवसाय विकास, नई तकनीक और विशेष रूप से हरित प्रथाओं जैसे विषय केवल चर्चा के विषय नहीं हैं बल्कि ये ऐसे स्तंभ हैं जिन पर प्रगति, स्थिरता और नवाचार की इमारत टिकी हुई है।

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