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ऐतिहासिक मिशन सिद्ध करने जा रहा है भारत 2 उपग्रहों को अंतरिक्ष में जोड़ने की तैयारी में

नई दिल्ली: भारत इस वर्षांत पर अंतरिक्ष में छोड़े गए दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने का प्रयोग सिद्ध करने की तैयारी में है। जिसे ‘स्पाडेक्स’ यानी अंतरिक्ष में तैरते उपग्रहों या प्रणालियों को परस्पर जोड़ कर एक करने का प्रयोग कहा जाता है

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नई दिल्ली: भारत इस वर्षांत पर अंतरिक्ष में छोड़े गए दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने का प्रयोग सिद्ध करने की तैयारी में है। जिसे ‘स्पाडेक्स’ यानी अंतरिक्ष में तैरते उपग्रहों या प्रणालियों को परस्पर जोड़ कर एक करने का प्रयोग कहा जाता है। सोमवार को सिद्ध किए जाने वाली ‘भारतीय अंतरिक्ष डॉकिंग प्रणाली’ चंद्रयान-4 मिशन, देश की अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करने और अंतरिक्ष में मानव भेजने जैसी योजनाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

इस जटिल तकनीकी उपलब्धि को प्रदर्शित करने के लिए ‘भारतीय डॉकिंग सिस्टम’ से लैस दो उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा। इसमें से एक ‘चेजर’ (पीछा करने वाला) और दूसरा जुड़ने का ‘टारगेट’ (लक्ष्य) होगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसरो का 30 दिसंबर को निर्धारित वर्ष के अंत का मिशन ऐतिहासिक होने जा रहा है।

इस मिशन में अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को डॉक करने या विलय करने या एक साथ जोड़ने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल करने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पाडेक्स) नाम दिया गया है। इस प्रयोग में अंतरिक्ष के लगभग निर्वात परिस्थिति में, इसरो 28,800 किमी/घंटा की गति से परिक्रमा कर रहे दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने का प्रयास करेगा।

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