बेंगलुरुः कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि कुछ संगठन मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर डीजे हल्ली और केजी हल्ली दंगों तथा आगजनी में राज्य के खिलाफ विद्रोह करने वालों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं। बोम्मई ने यहां संवाददाताओं से कहा,‘‘ऐसी जानकारी है कि कुछ संगठन मुख्यमंत्री पर मामले वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। उन्हें इस मामले पर स्पष्ट रुख बताना चाहिए। श्री सिद्दारमैया को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या इन मामलों में शामिल लोगों को दंडित किया जाएगा या उनके खिलाफ मामले वापस लिए जाएंगे।’’ श्री बोम्मई ने आरोप लगाया कि इन ताकतों ने इस सरकार को सत्ता में आने में काफी हद तक मदद की थी और अब इसकी आड़ में इसे चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा,‘‘राज्य सरकार को किसी दबाव में नहीं आना चाहिए।’’
इससे पहले कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस विधायक तनवीर सेत ने गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वर को पत्र लिखकर केजी हल्ली और डीजे हल्ली दंगों में शामिल लोगों के खिलाफ मामले वापस लेने का अनुरोध किया था। बोम्मई ने आरोप लगाया कि उन्हें रिहा करने से अपराधी केवल राज्य के खिलाफ विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित होंगे क्योंकि उन्हें वर्तमान कांग्रेस सरकार की ओर से सुरक्षा का आश्वासन दिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केजे हल्ली और डीजे हल्ली दंगों के मामले अपने हाथ में ले लिए हैं और इस बात के बहुत स्पष्ट सबूत हैं कि पीएफआई और एसडीपीआई इसमें शामिल हैं।
उन्होंने कहा, कि ‘जांच की गई है और आरोप पत्र भी दाखिल किया गया है। राज्य सरकार के पास एनआईए की ओर से जांच किए जा रहे अपराधियों के खिलाफ मामले वापस लेने की कोई शक्ति नहीं है।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार दलित विरोधी है क्योंकि वह उन लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है जिन्होंने दलित विधायक अखंड श्रीनिवासमूर्ति, जो उस समय कांग्रेस विधायक थे, का घर जला दिया था। बोम्मई ने कहा कि कांग्रेस सरकार आरोपियों के खिलाफ मामले वापस लेने पर विचार करके राज्य के लोगों के साथ विश्वासघात कर रही है। उन्होंने कहा,‘‘यह सरकार राज्य के खिलाफ विद्रोह करने वालों, केजी हल्ली और डीजे हल्ली दंगों और आगजनी के दौरान थाना तथा उनके वाहनों को जलाने वालों के मामलों को वापस लेने पर विचार करके राज्य के लोगों को धोखा दे रही है।’’