हाईकोर्ट: शहीद सैनिकों को शहीद पुलिसकर्मियों से नीचे का दर्जा अस्वीकार्य, पंजाब सरकार को फटकार

हाईकोर्ट ने कहा कि सेना का रक्षाकर्मी जिसने राष्ट्र के लिए अपना जीवन दे दिया, उसे पुलिस बल में रहते हुए शहीद होने वालों से निचले स्तर पर नहीं रखा जा सकता। हाईकोर्ट ने 3 महीने के भीतर याची के पोते को डीएसपी बनाने पर फैसला लेने का आदेश दिया है। इसी के साथ याचिका.

हाईकोर्ट ने कहा कि सेना का रक्षाकर्मी जिसने राष्ट्र के लिए अपना जीवन दे दिया, उसे पुलिस बल में रहते हुए शहीद होने वालों से निचले स्तर पर नहीं रखा जा सकता। हाईकोर्ट ने 3 महीने के भीतर याची के पोते को डीएसपी बनाने पर फैसला लेने का आदेश दिया है। इसी के साथ याचिका दाखिल करते हुए बठिंडा निवासी सर्बजीत सिंह सिद्धू ने हाईकोर्ट को बताया कि उनका बेटा दविंदर सिंह सिद्धू नेवी में लेफ्टिनेंट पायलट था और 1989 में भारत सरकार के श्रीलंका में किए गए ऑपरेशन पवन के दौरान वह शहीद हो गया था।

इसी के साथ हाईकोर्ट ने कहा कि शहीद सैनिक को पुलिसकर्मियों से नीचे का दर्जा देना स्वीकार नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता के परिवार में अब केवल उसका पोता अर्शदीप सिंह सिद्धू ही मौजूद है जो परिवार का सहारा है। अर्शदीप शहीद दविंदर सिंह सिद्धू का भतीजा है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को शहीद हुए दविंदर सिंह सिद्धू के भतीजे को डीएसपी नियुक्त करने का आदेश दिया है। पंजाब सरकार की ऑनर एंड ग्रेटीट्यूट पॉलिसी के तहत डीएसपी पद पर नियुक्ति के लिए याची के पोते ने आवेदन किया था लेकिन इसे मंजूर नहीं किया गया।

पंजाब सरकार ने बताया कि नौकरी के लिए 30 आवेदन मिले थे और 27 का चयन किया गया है। इस नीति के तहत शहीद पुलिसवालों के भतीजों को नौकरी दी गई है, लेकिन शहीद सैनिकों के मामले में ऐसा नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने 3 महीने के भीतर याची के पोते को डीएसपी बनाने पर फैसला लेने का आदेश दिया है इसके साथ ही याची के पोते को आदेश दिया है कि वह अंडरटेकिंग देगा कि नौकरी मिलने के बाद परिवार का ख्याल रखेगा।

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