शतरंज के बादशाह बनने की राह पर किशोर खिलाड़ी आर प्रज्ञानानंदा हाल ही में बाकू में हुए फिडे विश्व कप फाइनल में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन ने टाइब्रेक में हराया। लेकिन इस बेहतरिन प्रदर्शन से देश भर से मिल रही बधाई से उनका साहस कम नहीं होगा। देश के सबसे कम उम्र वाले किशोर खिलाड़ी हैं। वहीं हाल में फिडे विश्व कप में असाधारण प्रदर्शन करने बाद कहा कि मुझे उम्मीद है कि इससे लोग भारतीय शतरंज पर गौर करने लगेंगे। प्रज्ञानानंदा को बाकू में हुए फिडे विश्व कप फाइनल में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन ने टाइब्रेक में हराया था। भारत के इस उदीयमान धुरंधर ने कहा कि फाइनल में पहुंचकर बहुत अच्छा लगा। मैं आज जीत नहीं सका लेकिन शतरंज में यह चलता है।
साढ़े चार साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया था
प्रज्ञानानंदा ने महज साढ़े चार साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया था तथा अपने करियर में वह अभी तक कई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं। पिछले साल उन्होंने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी और पूर्व क्लासिकल चैंपियन मैगनस कार्लसन को एक ऑनलाइन टूर्नामेंट में भी हराया था। इसके बाद भी पूरे देश में उस वक्त भी छाये रहे थे।
10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय ग्रैंड मास्टर बने थे प्रज्ञानानंदा
भारतीय शतरंज के गढ़ चेन्नई के रहने वाले प्रज्ञानानंदा ने छोटी उम्र से ही इस खेल में नाम कमाना शुरू कर दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय अंडर सात का खिताब जीता और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर और उसके दो साल बाद ग्रैंड मास्टर बन गए थे। इस तरह से वह आनंद और हरिकृष्णा के बाद कार्लसन को हराने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने।
पीएम के ट्वीटर से ः ‘उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए प्रग्गनानंद पर गर्व है’
हमें फिडे विश्व कप में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए प्रग्गनानंद पर गर्व है! उन्होंने अपने असाधारण कौशल का प्रदर्शन किया और फाइनल में दुर्जेय मैग्नस कार्लसन को कड़ी टक्कर दी। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है. उन्हें आगामी टूर्नामेंटों के लिए शुभकामनाएं।