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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 23 अप्रैल 2023

सोरठि महला १ ॥ जिन्ही सतिगुरु सेविआ पिआरे तिन्ह के साथ तरे ॥ तिन्हा ठाक न पाईऐ पिआरे अम्रित रसन हरे ॥ बूडे भारे भै बिना पिआरे तारे नदरि करे ॥१॥ भी तूहै सालाहणा पिआरे भी तेरी सालाह ॥ विणु बोहिथ भै डुबीऐ पिआरे कंधी पाए कहाह ॥१॥ रहाउ ॥ सालाही सालाहणा पिआरे दूजा अवरु.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 30 मार्च 2023

ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ रागु बिलावलु महला ४ पड़ताल घरु १३ ॥ बोलहु भईआ राम नामु पतित पावनो ॥ हरि संत भगत तारनो ॥ हरि भरिपुरे रहिआ ॥ जलि थले राम नामु ॥ नित गाईऐ हरि दूख बिसारनो ॥१॥ रहाउ ॥ हरि कीआ है सफल जनमु हमारा ॥ हरि जपिआ हरि दूख बिसारनहारा ॥ गुरु.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 19 मार्च 2023

धनासरी महला १ ॥ जीवा तेरै नाइ मनि आनंदु है जीउ ॥ साचो साचा नाउ गुण गोविंदु है जीउ ॥ गुर गिआनु अपारा सिरजणहारा जिनि सिरजी तिनि गोई ॥ परवाणा आइआ हुकमि पठाइआ फेरि न सकै कोई ॥ आपे करि वेखै सिरि सिरि लेखै आपे सुरति बुझाई ॥ नानक साहिबु अगम अगोचरु जीवा सची नाई.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 19 फरवरी 2023

सूही महला १ घरु ६ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ उजलु कैहा चिलकणा घोटिम कालड़ी मसु ॥ धोतिआ जूठि न उतरै जे सउ धोवा तिसु ॥१॥ सजण सेई नालि मै चलदिआ नालि चलंन्हि ॥ जिथै लेखा मंगीऐ तिथै खड़े दिसंनि ॥१॥ रहाउ ॥ कोठे मंडप माड़ीआ पासहु चितवीआहा ॥ ढठीआ कंमि न आवन्ही विचहु सखणीआहा ॥२॥.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 12 फरवरी 2023

रामकली महला ५ ॥ जो तिसु भावै सो थीआ ॥ सदा सदा हरि की सरणाई प्रभ बिनु नाही आन बीआ ॥१॥ रहाउ ॥ पुतु कलत्रु लखिमी दीसै इन महि किछू न संगि लीआ ॥ बिखै ठगउरी खाइ भुलाना माइआ मंदरु तिआगि गइआ ॥१॥ निंदा करि करि बहुतु विगूता गरभ जोनि महि किरति पइआ ॥ पुरब.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 18 जनवरी 2023

धनासरी महला १ घरु २ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ गुरु सागरु रतनी भरपूरे ॥ अम्रितु संत चुगहि नही दूरे ॥ हरि रसु चोग चुगहि प्रभ भावै ॥ सरवर महि हंसु प्रानपति पावै ॥१॥ किआ बगु बपुड़ा छपड़ी नाइ ॥ कीचड़ि डूबै मैलु न जाइ ॥१॥ रहाउ ॥ रखि रखि चरन धरे वीचारी ॥ दुबिधा.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 14 जनवरी 2023

धनासरी, भगत रवि दास जी की ੴ सतिगुर परसाद हम सरि दीनु दइआल न तुम सरि अब पतिआरू किया कीजे ॥ बचनी तोर मोर मनु माने जन कऊ पूरण दीजे ॥१॥ हउ बलि बलि जाउ रमईआ कारने ॥ कारन कवन अबोल ॥ रहाउ ॥ बहुत जनम बिछुरे थे माधउ इहु जनमु तुम्हारे लेखे ॥ कहि.

हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 30 दिसंबर

सलोकु मः ३ ॥ पड़णा गुड़णा संसार की कार है अंदरि त्रिसना विकारु ॥ हउमै विचि सभि पड़ि थके दूजै भाइ खुआरु ॥ सो पड़िआ सो पंडितु बीना गुर सबदि करे वीचारु ॥ अंदरु खोजै ततु लहै पाए मोख दुआरु ॥ गुण निधानु हरि पाइआ सहजि करे वीचारु ॥ धंनु वापारी नानका जिसु गुरमुखि नामु.
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