चीन से सम्बंधों में अर्जेंटीना को “सावधान” करते अमेरिकी अधिकारी सवालों के घेरे में

“अमेरिका के दक्षिणी कमान के कमांडर लॉरा रिचर्डसन ने यात्रा के दौरान अर्जेंटीना के अधिकारियों से बात करते समय लैटिन अमेरिका में चीन के प्रभाव के बारे में बात की।” 17 अप्रैल को अर्जेंटीना की मीडिया ने यूएस-अर्जेंटीना वार्ता का ऐसा मूल्यांकन किया। इससे पहले, अमेरिकी विदेश विभाग में नंबर 2 यानी उप विदेश मंत्री.

“अमेरिका के दक्षिणी कमान के कमांडर लॉरा रिचर्डसन ने यात्रा के दौरान अर्जेंटीना के अधिकारियों से बात करते समय लैटिन अमेरिका में चीन के प्रभाव के बारे में बात की।” 17 अप्रैल को अर्जेंटीना की मीडिया ने यूएस-अर्जेंटीना वार्ता का ऐसा मूल्यांकन किया। इससे पहले, अमेरिकी विदेश विभाग में नंबर 2 यानी उप विदेश मंत्री वेन्डी शर्मन ने भी ब्यूनस आयर्स का दौरा किया और अर्जेंटीना से चीन के साथ संबंध विकसित करने में “सावधान” रहने को कहा।

रिचर्डसन और शेरमैन ही नहीं, अमेरिका के कई अधिकारी हाल में अर्जेंटीना पहुंचे हैं। अप्रैल की शुरुआत में अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर कॉर्निन ने अर्जेंटीना का दौरा करते समय अर्जेंटीना और चीन के बीच सहयोग परियोजनाओं के बारे में “चिंता” व्यक्त की। इसके बाद, अमेरिकी परमाणु नियामक आयोग के अध्यक्ष क्रिस्टोफर हैनसेन ने अर्जेंटीना का दौरा किया और दावा किया कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अर्जेंटीना और चीन के बीच सहयोग में जोखिम और “असुविधा” मौजूद हैं। फिर, रिचर्डसन और शरमन भी आए। वे सभी चीन के बारे में बात कर रहे थे।

अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? अर्जेंटीना की मीडिया के विश्लेषण के अनुसार, पद ग्रहण करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन को दबाने की  नीति को मजबूत किया, और वे लैटिन अमेरिका या दुनिया के साथ चीन के सहयोग को मज़बूत होते नहीं देखना चाहते हैं। अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका का एक बड़ा देश है। हाल के वर्षों में, चीन और अर्जेंटीना के बीच मैत्रीपूर्ण सहयोग गहरा होना जारी है। फरवरी 2022 में, अर्जेंटीना बेल्ट एंड रोड पहल में औपचारिक रूप से शामिल होने वाला पहला प्रमुख लैटिन अमेरिकी देश बन गया। यह विकासशील देशों के बीच आपसी सम्मान, पारस्परिक लाभ और साझी जीत वाला एक व्यावहारिक सहयोग है। हालांकि, अमेरिका की नज़र में, चीन-अर्जेंटीना सहयोग ने उसके हितों को चुनौती दी है और उसके आधिपत्य को खतरे में डाला है, इसलिए अमेरिका ने इसे बाधित करने और तोड़फोड़ करने की पूरी कोशिश की है।

परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं की बात करें तो अप्रैल 2022 में, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के सहायक सचिव एन गेंजेल ने अर्जेंटीना का दौरा करते समय चीन द्वारा अतुचा-3 परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना के लिए दी गयी तकनीक की आलोचना की और कहा कि यह “अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को पूरा नहीं करता है और इस में डिजाइन और सुरक्षा समस्याएं होती हैं”। हालांकि, अर्जेंटीना की परमाणु ऊर्जा कंपनी द्वारा जारी शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि इन आरोपों में “वैज्ञानिक आधार का अभाव” है।

तथ्य लोगों को बताते हैं कि अमेरिका अभी भी लैटिन अमेरिका को नियंत्रित करने और उन्हें अपने “कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता”, “उत्पाद डंपिंग बाजार” और “सांस्कृतिक उपनिवेश” बनाने की कोशिश कर रहा है।

समय बदल गया है। लैटिन अमेरिकी देश एकता, सहयोग और विकास के लिए तरस रहे हैं। गत वर्ष के जून माह में, अमेरिका द्वारा आयोजित नौवें अमेरिकी शिखर सम्मेलन का लैटिन अमेरिकी देशों द्वारा व्यापक रूप से बहिष्कार किया गया था, जिससे यह सबसे कम नेताओं के भाग लेने वाला सत्र बन गया। इस साल जनवरी में, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के समुदाय के सातवें शिखर सम्मेलन ने ब्यूनस आयर्स घोषणा जारी की, जिसमें विदेशी हस्तक्षेप और आधिपत्य के खिलाफ आम सहमति बनी। 

19वीं सदी के अंत में, पूर्व मैक्सिकन राष्ट्रपति पोर्फिरियो डियाज़ ने एक बार कहा था कि उनका देश “ईश्वर से बहुत दूर और अमेरिका के बहुत करीब” था। लैटिन अमेरिका में आज जो हो रहा है वह अर्जेंटीना के मीडिया के विचारों की पुष्टि कर रहा है, “इस समय जब उभरते बाजार वाले देश विकसित होने का प्रयास कर रहे हैं, लैटिन अमेरिका अमेरिका के बहुत करीबहोने के ऐतिहासिक भाग्य को बदल सकता है।”

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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