चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा मानसून सत्र में नूह हिंसा के मामले को ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से उठाया जाएगा। नूह हिंसा के मामले में सरकार की विफलता और तमाम खुफिया एजेंसियों द्वारा दिए गए इनपुटों के बाद भी सरकार की इसे रोकने में विफलता को लेकर सरकार को घेरा जाएगा। यह जानकारी हरियाणा विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक किरण चौधरी ने दी। तीन ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से उठाएंगे मुद्दे उन्होंने बताया कि सत्र में नूह हिंसा के मामले में सरकार को घेरने की तैयारी कर ली गई है। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से नूह में हुई हिंसा को लेकर सदन में विस्तृत चर्चा की मांग करते हुए मुख्यमंत्री से मामले में विस्तृत रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने के साथ नूह में दोनों पक्षों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने की मांग करेंगी। मामले की जांच एक वरिष्ठ न्यायाधीश से करवाई जाए। ऐसा लगता है कि सरकार ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाए। सरकार ने सभी इनपुट के बाद भी दंगा करने वालों को हिरासत में नहीं लिया। माहौल बिगाड़ने वालों को पूरी आजादी दी। जिन लोगों की लापरवाही सामने आई हैं, उनके खिलाफ सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।
भेदभाव के मामले को उठाएंगे उन्होंने एक सवाल विधानसभा में लगाया हैं। जिसके माध्यम से राजस्व मंत्री से पूछा हैं कि संपत्ति के विक्रय और खरीद पर सभी जिलों में 100 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस है जबकि भिवानी में 1000 रुपये क्यों लिए जा रहे हैं। हरियाणा में यमुना में आई बाढ़ और अधिक बारिश के कारण प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फसल बर्बाद हो गई। 2.6 लाख हैक्टेयर कृषि भूमि और 1465 गांव में किसान तबाह हो गए। उन्होंने प्रभावित किसानों को 50000 रुपये का मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही मनरेगा के माध्यम से अधिक विकास कार्य करवाने की मांग की है। जिससे किसानों और मजदूरों को रोजगार मिल सके। विधानसभा में प्रश्न लगाकर भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ सहित अन्य जिलों में बाजरे की फसलों पर शुंडी के आक्रमण से हुए नुकसान का मामला उठाएंगे। जब फसल पूरी तरह से तैयार होने के करीब थी, तभी शुंडी का भारी आक्रमण हो गया। हर सिरे पर चार से पांच कीड़े लग गए हैं। इससे 40 से 80 प्रतिशत फसल नष्ट हो चुकी है। लेकिन सरकार ने अभी तक नुकसान की भरपाई के लिए स्पेशल गिरदावरी की घोषणा नहीं की है। उन्होंने सरकार से तत्काल कदम उठाते हुए स्पेशल गिरदावरी करवा कर मुआबजा देने की मांग की है।
स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से उठाएंगे सीईटी का मामला सीईटी के तहत युवाओं को हो रही परेशानियों के मामले को भी स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से उठाया जाएगा। अकेले सीईटी के लिए 11 लाख 22 हजार युवाओं ने आवेदन किया था। सात लाख 72 हजार युवाओं ने कच्ची नौकरी के लिए हरियाणा कौशल विकास निगम में आवेदन किया। इनमें पीएचडी एमबीबीएस, स्नातक पीजी, बीटैक, एमटैक, एमएससी पास बेरोजगार शामिल हैं। प्रदेश में सरकारी विभागों, बोडरें, निगमों के क्लास तीन ओर चार के 60000 पदों के लिए 10 लाख से अधिक युवाओं ने आवेदन किए। हरियाणा में न तो कच्ची नौकरी है और न ही पक्की। सीईटी युवाओं के गले की फांस बनकर रह गई। सीईटी के लिए 11 लाख 22 हजार बच्चों ने परीक्षा दी। इसमें से दो लाख 92 हजार बच्चों ने परीक्षा पास की। किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला।