Himachal में सरकारी खर्चों में कटौती की कवायद तेज, CM Sukhu ने रिपोर्ट देने के लिए दिए इतना समय

शिमलाः हिमाचल प्रदेश का सरकारी खजाना खाली है। सरकार के पास रोज के खर्चों को चलाने तक के पैसे नहीं है। हिमाचल प्रदेश 75 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ है। इसमें 11 हजार करोड़ रुपए की सरकारी कर्मचारियों की देनदारी हैं। ऐसे में सुक्खू सरकार ने राजस्व को बढ़ाने के लिए मंत्रियों.

शिमलाः हिमाचल प्रदेश का सरकारी खजाना खाली है। सरकार के पास रोज के खर्चों को चलाने तक के पैसे नहीं है। हिमाचल प्रदेश 75 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा हुआ है। इसमें 11 हजार करोड़ रुपए की सरकारी कर्मचारियों की देनदारी हैं। ऐसे में सुक्खू सरकार ने राजस्व को बढ़ाने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों के खर्चों में कटौती करने का मन बना लिया है, जिसके लिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंत्रियों से उनके विभागों में खर्चे में कैसे कटौती व राजस्व बढ़ाया जाए इसको लेकर एक महीने के भीतर रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में मंत्रियों को अपने-अपने विभागों में खर्चों में कटौती के तौर तरीके बताने होंगे। कहां से राजस्व को लगने वाली चपत कम हो सकती है। सरकारी विभागों के अलावा निगम व बोर्डों के खर्चों को कम करने के लिए ऐसा ही करने के निर्देश दिए गए है, जिसकी संबद्ध मंत्री व विभागीय अधिकारी सरकार को जानकारी देंगे।

इससे पहले मुख्यमंत्री हिमाचल भवन व सदन में सभी मंत्रियों व विधायकों को आम नागरिक के समान किराया देने का फैसला ले चुके हैं। सरकारी स्तर पर नेताओं और अधिकारियों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती करके बड़ी राशि को बचाया जा सकता है। इसके अलावा अवैध खनन को रोककर नीलामी प्रक्रिया के तहत खनन पट्टों का आवंटन करना शामिल है। सरकारी गाड़ियों में डीजल-पैट्रोल के साथ-साथ गाड़ियों के मुरम्मत कार्य में खर्च पर भी नजर रखी जाएगी। अधिकारियों के टूअर प्रोग्राम को कम कर के कैसे ऑनलाइन कार्य किया जा सकता है। इसी तरह वैट/कर चोरी रोकने के लिए क्या किया जा सकता है, उस विकल्प को भी तलाशा जाएगा। साथ ही सरकार शराब सहित अन्य तंबाकू उत्पादों को महंगा करके भी अतिरिक्त राजस्व जुटा सकती है।

कई मंत्रियों व अफसरों के पास एक से अधिक विभागों का जिम्मा

प्रदेश में कई मंत्रियों व अफसरों के पास एक से अधिक विभागों का जिम्मा है। आमतौर पर यह देखा गया है कि मंत्री व अफसर उनके अधीन एक से अधिक विभागों की गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। वाहनों के इस खर्च में कटौती आसानी से की जा सकती है।

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