कुफरी घाटी औषधीय गुणों से भरपूर बुरांस के फूलाें से सराबोर, लुत्फ उठा रहे पर्यटक

शिमला : शिमला के जुन्गा क्षेत्र की मुडाघाट छलंडा, कोटी और कुफरी घाटी इन दिनों बुरांस के फूलों से गुलजार है, जिसका इस क्षेत्र में आए पर्यटकों द्वारा भरपूर लुत्फ उठाया जा रहा है। बुरांस के फूलों का वैज्ञानिक नाम रहोडोडेंड्रन है। इसके पेड़ों पर मार्च व अप्रैल के महीने में लाल व गुलाबी रंग.

शिमला : शिमला के जुन्गा क्षेत्र की मुडाघाट छलंडा, कोटी और कुफरी घाटी इन दिनों बुरांस के फूलों से गुलजार है, जिसका इस क्षेत्र में आए पर्यटकों द्वारा भरपूर लुत्फ उठाया जा रहा है। बुरांस के फूलों का वैज्ञानिक नाम रहोडोडेंड्रन है। इसके पेड़ों पर मार्च व अप्रैल के महीने में लाल व गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं। इस वृक्ष की पत्तियां देखने में मोटी और फूल घंटी की तरह होते हैं। यह वृक्ष स्वत: ही जंगलों में उगता है जिसके देखभाल करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। हिमाचल में यह फूल भरपूर मात्र में पाया जाता है।

शिमला, कांगड़ा, सोलन, धर्मशाला और किन्नौर में इस फूल का प्रयोग अचार, मुरब्बा और जूस के रूप में किया जाता है। लोग बुंरांस के फूलों को औषधीय कार्य में इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बुरांस के फूल लोगों की आय का साधन भी बन गए है। कोटी के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. विश्वबंधु जोशी ने बताया कि बुरांस के फू ल औषधीय गुणों से भरपूर है जिसका विभिन्न दवाओं में उपयोग किया जाता है।

बुरांस में विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी, ई और के प्रचुर मात्र में पाई जाती हैं जोकि वजन बढ़ने नहीं देते और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखता है। एक अच्छा एंटीऑक्सीडैंट होने के कारण त्वचा रोगों से बचाता है। बुरांस के फूलों की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट होती है जोकि लू और नकसीर से बचने का अचूक नुस्खा है।

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