ओलंपिक कोटा हासिल करने के बाद निशानेबाजों को टीम से हटाना निराशाजनक : टी एस ढिल्लों

नई दिल्लीः पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता टी एस ढिल्लों का मानना है कि ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले निशानेबाजों को अगले टूर्नामेंट से बाहर रखने की भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) की नीति से निशानेबाजों का मनोबल गिरता है क्योंकि प्रतिस्पर्धा के अभाव में वे बड़े टूर्नामेंटों का दबाव नहीं झेल पाते। देश के लिए अधिकतम.

नई दिल्लीः पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता टी एस ढिल्लों का मानना है कि ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले निशानेबाजों को अगले टूर्नामेंट से बाहर रखने की भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) की नीति से निशानेबाजों का मनोबल गिरता है क्योंकि प्रतिस्पर्धा के अभाव में वे बड़े टूर्नामेंटों का दबाव नहीं झेल पाते। देश के लिए अधिकतम ओलंपिक कोटा हासिल करने की कवायद में एनआरएआई ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके निशानेबाजों को या तो बाहर कर देता है या उन्हें न्यूनतम क्वालीफिकेशन स्कोर्स (एमक्यूएस) में डाल देता है जिससे वे पदक की दौड़ से बाहर हो जाते हैं ।

काहिरा में विश्व चैम्पियनशिप 2022 में स्वर्ण पदक जीतकर 10 मीटर एयर राइफल में कोटा हासिल करने वाले रूद्रांक्ष पाटिल को अजरबैजान के बाकू में अपने खिताब की रक्षा करने का मौका नहीं दिया गया। रूद्रांक्ष , राजेश्वरी कुमारी (ट्रैप) और सिफत कौर सामरा (50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन) एशियाई चैम्पियनशिप में उतरेंगे जो 2024 पेरिस ओलंपिक का क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट है । ये सिर्फ आरपीओ (रैकिंग प्वाइंट ओन्ली) वर्ग में भाग लेंगे ताकि दूसरे निशानेबाज कोटा हासिल कर सकें।

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करीब 17 साल तक एनआरएआई के राष्ट्रीय चयनकर्ता रहे ढिल्लों ने कहा ,‘‘ यह रूद्रांक्ष के लिये निराशाजनक है । ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके किसी भी निशानेबाज के लिये यह निराशाजनक है । आपको दूसरों को मौका देना चाहिये लेकिन इनसे भी मौका लेना नहीं चाहिए।’’ भारत ने तोक्यो ओलंपिक 2020 से पहले निशानेबाजी में रिकॉर्ड 15 कोटा स्थान हासिल किये थे लेकिन पदक नहीं जीत सके।

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पूर्व निशानेबाज ढिल्लों ने कहा ,‘‘ रूद्रांक्ष जैसे निशानेबाजों को बाहर नहीं किया जाना चाहिये । निशानेबाजी काफी प्रतिस्पर्धी खेल है और लय बनाए रखना जरूरी है। अगर आप 20 किलोमीटर या 10 किलोमीटर दौड़ रहे हैं तो लय छूटने पर फिर पाना मुश्किल होता है।’’ हर देश को निशानेबाजी में हर वर्ग में अधिकतम दो कोटे मिल सकते हैं । दस मीटर एयर राइफल में रूद्रांक्ष ने एक हासिल कर लिया और अब नजरें दिव्यांश पंवार, अजरुन बाबुटा और ह्र्रदय हजारिका पर लगी हैं जो 27 अक्टूबर से दो नवंबर तक चांगवोन में एशियाई चैम्पियनशिप खेलेंगे। ढिल्लों ने कहा ,‘‘ मुझे लगता है कि एनआरएआई का फोकस ज्यादा से ज्यादा कोटा लेने पर है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि लक्ष्य पदक जीतना है। हम ओलंपिक में कैसे अधिकतम पदक जीत सकते हैं। निशानेबाजी जैसे खेल में मानसिक तैयारी भी बहुत अहम है।’’

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