चंडीगढ़: सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सभी सरकारी विभागों की ग्रुप-सी सेवाओं में 3% खेल कोटा बहाल करने की खिलाड़ियों की मांग को जायज बताते हुए उनका पूर्ण समर्थन किया। हुड्डा ने कहा कि सरकार खिलाड़ियों की भावनाओं और उनके भविष्य को देखते हुए उनकी मांग को तुरंत माने और पहले की तरह खेल कोटा बहाल करने में कोई आनाकानी न करे। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी हरियाणा की पहचान हैं और इस पहचान को देश-विदेश तक पहुंचाने के लिए हुड्डा सरकार ने उम्दा खेल नीति बनाकर लागू की।
उन्होंने कहा कि हुड्डा सरकार के समय शुरू की गई हरियाणा की खेल नीति को देश भर में मिसाल माना जाता है। इस नीति के तहत मेडल विजेता प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सीधे डीएसपी व अन्य सम्मानजनक सरकारी पदों पर नौकरियां मिलने के कारण प्रदेश के युवाओं में खेल को करियर बनाने का नया जुनून तैयार हुआ था। जिसके परिणाम ओलिंपिक, कामनवेल्थ, एशियन गेम्स और विश्व चैंपियनशिप में हरियाणा के खिलाड़ियों ने सबसे ज्यादा मेडल जीतकर पूरी दुनिया में देश-प्रदेश का नाम रोशन किया। लेकिन हरियाणा सरकार ने ‘पदक लाओ, पद पाओ’ नीति को खत्म कर और खेल कोटा चंद विभागों तक सीमित कर न केवल खिलाड़ियों को आत्मविश्वास को तोड़ने का काम किया है बल्कि उनके भविष्य पर भी कुठाराघात किया है। खेल कोटा चंद विभागों तक सीमित कर सरकार पिछले दरवाजे से खेल कोटा पूरी तरह खत्म करने की साजिश रच रही है। मौजूदा बीजेपी-जेजेपी सरकार की नीतियाँ न तो खिलाड़ियों के हित में हैं न ही देश के हित में हैं। क्योंकि इससे देश अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पिछड़ जाएगा।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार युवाओं को खेल की ओर प्रोत्साहित करना चाहती है या खेलने से रोकना चाहती है? दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि हाल ही में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने हरियाणा के भीम अवार्डी, अर्जुन अवार्डी, द्रोणाचार्य अवार्डी खिलाड़ियों समेत अन्य प्रतिभावान खिलाड़ियों की मुलाकात राहुल गांधी से कराई। खिलाड़ियों ने राहुल गांधी विस्तार से बताया कि पहले खेल कोटे के तहत हर विभाग में भर्ती होती थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने ‘पदक लाओ, पद पाओ’ की नीति खत्म कर दी। इतना ही नहीं, हरियाणा में जितनी सुविधाएं खिलाड़ियों को पहले मिला करती थीं, सोची समझी साजिश के तहत उनमें भी भारी कटौती की गई है।